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राज्यसभा उपचुनाव से पहले ही एनडीए का खाता खुला, रवनीत बिट्टू, उपेंद्र कुशवाहा व मनन मिश्रा निर्विरोध जीते

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नई दिल्ली/पटना, 27 अगस्त। नौ राज्यों की 12 सीटों पर होने वाले उपचुनाव से पहले ही भाजपा की अगुआई में सत्तारूढ़ एनडीए के तीन उम्मीदवार निर्विरोध चुन लिए गए हैं। इनमें राजस्थान से रवनीत सिंह बिट्टू (भाजपा), बिहार से उपेंद्र कुशवाहा (रालोसपा) और मनन कुमार मिश्रा (भाजपा) शामिल हैं।

उपचुनाव जीतने वाले तीनों उम्मीदवारों को जीत का सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया गया है। इसी क्रम में उपेंद्र कुशवाहा व मनन कुमार मिश्रा ने जीत हासिस करने के बाद पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से शिष्टाचार मुलाकात भी की। इन दोनों के अतिरिक्त कोई तीसरा प्रत्याशी नहीं होने के कारण मतदान की नौबत ही नहीं बनी। यही हाल राजस्थान में बिट्टू का था, जहां कांग्रेस ने कोई उम्मीदवार नहीं उतारा।

9 राज्यों की 12 रिक्त सीटें उपचुनाव से भरी जाएंगी

दरअसल, असम, बिहार और महाराष्ट्र की दो-दो सीट, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, त्रिपुरा, तेलंगाना और ओडिशा की एक-एक सीट पर उपचुनाव होना है। असम में कामाख्या प्रसाद ताशा और सर्वानंद सोनोवाल, बिहार में मीसा भारती और विवेक ठाकुर, हरियाणा के दीपेंद्र हुड्डा, मध्य प्रदेश के ज्योतिरादित्य माधवराव सिंधिया, महाराष्ट्र से छत्रपति उदयन राजे भोसले, पीयूष वेदप्रकाश गोयल, राजस्थान से केसी वेणुगोपाल और त्रिपुरा से बिप्लब देव के लोकसभा सदस्य चुने जाने और तेलंगाना के केशव राव व ओडिशा की ममता मोहंता के इस्तीफे से राज्यसभा की ये सीटें खाली हुई हैं। नए चुनाव के बाद चुने जाने वाले सदस्य निवर्तमान सदस्यों के बाकी बचे कार्यकाल के लिए होंगे। ये कार्यकाल अगले साल यानी 2025 से 2028 के बीच है।

3 सितम्बर को शेष 9 सीटों के लिए होना है उपचुनाव

चुनाव आयोग ने इसी माह राज्यसभा उपचुनाव के लिए अधिसूचना जारी की थी। इसमें नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि 21 अगस्त थी और नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि 27 अगस्त थी। मतदान 3 सितम्बर को संबंधित राज्यों की विधानसभाओं में पूर्वाह्न नौ बजे से चार बजे तक होगा। उसी शाम पांच बजे से मतगणना होगी और रात तक नतीजे आ जाएंगे।

निर्विरोध चुने गए प्रत्याशियों का परिचय

रवनीत सिंह बिट्टू : बीते लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए 48 वर्षीय रवनीत सिंह बिट्टू को लुधियाना से हार का सामना करना पड़ा था। फिलहाल बिट्टू को मोदी कैबिनेट 3.0 में केंद्रीय मंत्री बनाया गया है। तीन बार कांग्रेस सांसद रह चुके बिट्टू पहली बार 2009 में आनंदपुर साहिब से लोकसभा के लिए चुने गए थे। इसके बाद 2014 और 2019 में लुधियाना से जीते थे।

बिट्टू की उम्र सिर्फ 11 वर्ष थी, जब उनके पिता की मौत हो गई और 20 वर्ष की उम्र में उनके दादा व पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की 31 अगस्त, 1995 को चंडीगढ़ में खालिस्तान समर्थक आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी। वर्ष 2007 में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात के बाद बिट्टू राजनीति में आए। उससे पहले बिट्टू एक छोटी सी सीमेंट प्रोडक्शन यूनिट चलाते थे। बिट्टू को 2008 में 33 वर्ष की उम्र में पंजाब युवा कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।

उपेंद्र कुशवाहा : हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में उपेंद्र कुशवाहा को बिहार की काराकाट सीट से हार का सामना करना पड़ा था। उन्होंने एनडीए की तरफ से काराकाट सीट से राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSM) के टिकट पर चुनाव लड़ा था। बिहार के बड़े नेताओं में शुमार कुशवाहा बिहार विधान परिषद और विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं। इसके अलावा वह लोकसभा और राज्यसभा के भी सदस्य रहे हैं। वह केंद्र में मंत्री भी रहे हैं। कुशवाहा ने 1985 में राजनीति में कदम रखा। 1985 से 1988 तक वह युवा लोकदल के राज्य महासचिव रहे और 1988 से 1993 तक राष्ट्रीय महासचिव बने रहे।

मनन कुमार मिश्रा : गोपालगंज जिले के कुचायकोट प्रखंड के तिवारी खरेया गांव के मूल निवासी मनन कुमार मिश्रा अप्रैल, 2012 से लगातार बार काउंसिल ऑफ इंडिया का चुनाव जीतते आ रहे हैं। सात बार बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीआई) अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा को भाजपा ने बिहार से राज्यसभा भेजने का फैसला किया। वह सुप्रीम कोर्ट में वकालत करते हैं।

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