नई दिल्ली, 17 जुलाई। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी का मेगा शक्ति प्रदर्शन बेंगलुरु में विपक्ष की एकता बैठक के समानांतर आयोजित किया जाएगा, जिसमें 38 दल शामिल होंगे। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सोमवार की शाम भाजपा मुख्यालय में इस आशय की घोषणा की। हालांकि 38 में से अधिकतर छोटे प्रभाव वाले सहयोगी हैं और कुछ के पास तो एक भी सांसद नहीं हैं, लेकिन यह आंकड़ा विपक्षी एकता बैठक में शामिल हो रहे 26 दलों के आंकड़े से कहीं अधिक है।
भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा ने NDA के 25 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में मंगलवार को प्रस्तावित बैठक के संदर्भ में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, ‘पिछले कुछ वर्षों में एनडीए की पहुंच और दायरा बढ़ा है। विकास के एजेंडे को आगे बढ़ाने की लोगों की बढ़ती इच्छा के कारण एनडीए का विस्तार हुआ है…मोदी जी के नेतृत्व में पिछले नौ वर्षों में दिया गया सुशासन…यह एक सतत प्रक्रिया है।’
‘हमारा उद्देश्य सत्ता नहीं अपितु जनसेवा के साथ सशक्त भारत का निर्माण‘
नड्डा ने कहा, ‘NDA की व्यापकता विगत नौ वर्षों में बढ़ी है, आज हम कुल 38 सहयोगी दल साथ हैं। हमारा उद्देश्य सत्ता नहीं अपितु जनसेवा के साथ सशक्त भारत का निर्माण व जन-जन का समावेशी विकास सुनिश्चित करना है। पीएम मोदी के नेतृत्व में विकासवाद की राजनीति ने देश के सामाजिक व सांस्कृतिक परिदृश्य में सकारात्मक बदलाव लाए हैं। प्रत्येक नागरिक के जीवन में गुणात्मक परिवर्तन साकार हुआ है।’
पटना में विपक्षी दलों की पहली बैठक के बाद शुरू हुई भाजपा की कवायद
फिलहाल देखा जाए तो पिछले माह पटना में विपक्ष की पहली एकता बैठक आयोजित होने के कुछ सप्ताह बाद सहयोगियों तक भाजपा की पहुंच देर से आई। विपक्ष ने इस बात पर व्यंग्य किया है कि 1970 के दशक के जेपी आंदोलन की तर्ज पर उसके एकता कदम ने भाजपा को परेशान कर दिया है।
श्री @iChiragPaswan जी से दिल्ली में भेंट हुई। उन्होंने माननीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के नेतृत्व वाले NDA गठबंधन में शामिल होने का निर्णय लिया है। मैं उनका NDA परिवार में स्वागत करता हूँ। pic.twitter.com/vwU67B6w6H
— Jagat Prakash Nadda (@JPNadda) July 17, 2023
हालांकि, भाजपा योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़ रही है। इसका सबसे अधिक जोर बिहार में रहा है, जहां नीतीश कुमार ने एनडीए से नाता तोड़ते हुए बोर्ड को मजबूत किया था और केवल खंडित लोक जनशक्ति पार्टी को भाजपा के पास छोड़ दिया था। भाजपा अब आज एनडीए में शामिल हुए चिराग पासवान और उनके चाचा के बीच सुलह कराने की कोशिश कर रही है, जिससे उसे छह फीसदी पासवान वोटों तक पहुंच मिल जाएगी। बिहार की तीन और पार्टियां राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के उपेंद्र सिंह कुशवाहा, और विकासशील इंसान पार्टी के मुकेश सहनी और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के जीतन राम मांझी के भी एनडीए में शामिल होने की उम्मीद है।
80 सीटों वाले विशाल राज्य उत्तर प्रदेश में, जहां भाजपा पहले से ही बेहद मजबूत है, पार्टी ने एक और सहयोगी – ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को जोड़ लिया है, जिससे कई लोगों को लगता है कि बिहार नुकसान की भरपाई करने की उम्मीद है। वहीं प्रमुख सहयोगियों – तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक और तमिल मनीला कांग्रेस और महाराष्ट्र में शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) और एनसीपी के अजीत पवार गुट को दो प्रमुख राज्यों में सीटों की संख्या बनाए रखने की उम्मीद है।
पूर्वोत्तर में सात दल भाजपा को सात पूर्वोत्तर राज्यों में शासन करने में मदद करते हैं, जिनमें एनपीपी (नेशनल पीपुल्स पार्टी मेघालय), एनडीपीपी (नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी), एसकेएम (सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा), एमएनएफ (मिज़ो नेशनल फ्रंट), आईटीएफटी (त्रिपुरा), बीपीपी ( बोडो पीपुल्स पार्टी) और एजीपी (असम गण परिषद) दल शामिल हैं।