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बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम – 202 सीटों के साथ NDA को प्रचंड बहुमत, महागठबंधन 35 सीटों पर सिमटा

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पटना, 14 नवम्बर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार की शाम नई दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय पर आयोजित विजय उत्सव के दौरान यदि कहा कि बिहार के लोगों ने तो बिल्कुल गर्दा उड़ा दिया है… तो इसमें कुछ भी गलत नहीं था। दरअसल, पहले तो बिहार विधानसभा चुनाव 2025  के तहत 243 सीटों के लिए दो चरणों में हुए मतदान के दौरान बिहार के अब तक के चुनावी इतिहास में रिकॉर्ड 67.13 प्रतिशत वोटिंग हुई और फिर मतदान के उपरांत विभिन्न एजेंसियों द्वारा कराए गए एग्जिट पोल्स के अनुमानों को भी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने काफी पीछे छोड़ते हुए तीन चौथाई से भी ज्यादा सीटों के साथ अभूतपूर्व जीत हासिल कर ली।

बिहार चुनाव परिणाम पर एक नजर

देखा जाए तो में NDA ने ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए एक बार फिर साबित कर दिया कि पीएम मोदी की लोकप्रियता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जमीनी पकड़ आज भी अडिग है। 15 वर्षों बाद NDA ने सीटों के लिहाज से दोहरा सैकड़ा पार करते हुए प्रचंड बहुमत हासिल किया।

एनडीए को पिछले चुनाव के मुकाबले 80 सीटों का फायदा

सत्तारूढ़ गठबंधन ने कुल 202 सीटें हासिल कीं, जो पिछले चुनाव की तुलना में 80 सीटों की बड़ी बढ़त है। वोट शेयर भी बढ़कर 47% पहुंच गया। BJP और JDU ने बराबर 101-101 सीटों पर  दावेदारी की थी। वहीं महागठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा है।

भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी

भाजपा ने इस बार शानदार प्रदर्शन करते हुए 89 सीटें जीतीं और पिछले चुनाव के मुकाबले अपने खाते में 15 सीटों की बढ़त दर्ज करते हुए राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। जेडीयू ने भी जोरदार वापसी की और 85 सीटों के साथ 42 सीटों की बढ़त हासिल की। पहली बार एनडीए में शामिल होकर विधानसभा चुनाव लड़ी लोजपा (RV) ने 19 सीटें जीतीं जबकि जीतनराम मांझी की HAM और उपेंद्र कुशवाहा की RLM ने क्रमशः पांच और चार सीटें अपने नाम कीं। इन पार्टियों का यह प्रदर्शन गठबंधन को तीन-चौथाई से भी ज्यादा बहुमत दिलाने में अहम रहा।

महागठबंधन को पिछली बार की तुलना में 79 सीटों का नुकसान

वहीं महागठबंधन के लिए यह चुनाव दु:स्वप्न के समान रहा, जिसने तेजस्वी यादव को सीएम चेहरे के रूप में प्रस्तुत कर यह चुनाव लड़ा था। महागठबंधन कुल मिलाकर 35 सीटों पर सिमट गया, जो पिछली बार की तुलना में 79 सीटों की भारी गिरावट है। उसका वोट शेयर तो 39% रहा, लेकिन सीटों में इसका कोई लाभ नजर नहीं आया।

राजद को खुद पिछले चुनाव की तुलना में 50 सीटें कम मिलीं

राजद ने मात्र 25 सीटें जीतीं, जो पिछले चुनाव से 50 सीटें कम हैं। 61 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस का प्रदर्शन भी बेहद कमजोर रहा और पार्टी इस बार 13 सीटों की गिरावट के साथ महज छह सीटों पर सिमट गई। वहीं वाम दलों समेत अन्य के खाते में चार सीटें गई हैं।

डिप्टी सीएम का दावा ठोकने वाले मुकेश सहनी हारे

महागठबंधन में डिप्टी सीएम की दावेदारी ठोकने वाले मुकेश सहनी को भी करारी हार का सामना करना पड़ा है। सीट शेयरिंग के दौरान 60 सीटों पर दावेदारी पेश करने वाली उनकी विकासशील इंसान पार्टी (VIP) काफी मान-मनौबल के बाद 15 सीटों पर चुनाव लड़ी, लेकिन नतीजों में उसका खाता भी नहीं खुल सका। सहनी चुनाव प्रचार के दौरान लगातार तेजस्वी यादव के साथ नजर आ रहे थे। ऐसे में अब सवाल उठने लगा है कि क्या मुकेश सहनी महागठबंधन के लिए कमजोर कड़ी साबित हुए?

ओवैसी की पार्टी ने किया बढ़िया प्रदर्शन

असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम ने उल्लेखनीय प्रदर्शन करते हुए पांच सीटों पर जीत दर्ज की। पार्टी ने इस बार 29 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से 24 सीटें मुस्लिम-बहुल सीमांचल क्षेत्र में आती हैं। यह वही इलाका है, जहां ओवैसी की पार्टी का जनाधार पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है। पार्टी ने अमौर, कोचाधामन, बायसी, जोकीहाट और बहादुरगंज सीटों पर जबर्दस्त जीत दर्ज की। बसपा ने भी एक सीट पर जीत दर्ज की।

जन सुराज पार्टी रही फ्लॉप, खाता तक नहीं खुल सका

फिलहाल प्रख्यात चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी, जिसे ‘X फैक्टर’ माना जा रहा था, कोई बड़ा असर नहीं दिखा सकी। बेरोजगारी और पलायन जैसे मुद्दों के बावजूद पार्टी राज्य के राजनीतिक समीकरण नहीं बदल पाई। बड़े जोर-शोर से चुनावी मैदान में उतरी पीके की पार्टी का खाता भी नहीं खुल सका।

BJP-JDU का वोट शेयर बढ़ा, महागठबंधन का घटा

वस्तुतः एनडीए की ऐतिहासिक जीत केवल सीटों तक सीमित नहीं रही बल्कि वोट शेयर में भी यह बढ़त साफ दिखाई दी। बीजेपी का वोट शेयर बढ़कर 20.07% हो गया, जो 2020 में 19.46% था। इस बार बीजेपी ने 110 की बजाय केवल 101 सीटों पर चुनाव लड़ा था।

इसी प्रकार जेडीयू ने भी इस चुनाव में सबसे उल्लेखनीय छलांग लगाई। पार्टी का वोट शेयर 15.39% से बढ़कर 19.26% हो गया। जेडीयू ने भी पिछली बार के मुकाबले कम यानी 115 के बजाय 101 सीटों पर ही चुनाव लड़ा था।

वहीं महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी RJD ने इस बार 141 सीटों पर चुनाव लड़ा और 23% वोट शेयर हासिल किया, जो 2020 के 23.11% से थोड़ा कम है। हालांकि वोट शेयर लगभग स्थिर है, लेकिन सीटों में भारी गिरावट यह दर्शाती है कि वोटों का भूगोल इस बार उसके पक्ष में नहीं रहा।

कांग्रेस का वोट शेयर भी गिरकर 8.72% रह गया

कांग्रेस का वोट शेयर भी गिरकर 8.72% रह गया, जो 2020 में 9.5 के करीब था। पिछली बार उसने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था जबकि इस बार लड़ाई 61 सीटों तक सीमित रही। वाम दलों में सीपीआई(एमएल) लिबरेशन का वोट शेयर 3.16% से घटकर 2.84% हो गया। असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम ने अकेले चुनाव लड़ते हुए करीब 2% वोट शेयर हासिल किया। यह 2020 के 1.24% की तुलना में बढ़ोतरी है, जिससे पता चलता है कि कुछ इलाकों में पार्टी का जनाधार बढ़ा है।

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