नई दिल्ली, 4 जून। वैसे तो मंगलवार को पूर्वाह्न इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) के खुलते ही संकेत मिल गए थे कि तीन दिनों पूर्व टीवी चैनलों पर प्रसरित एक्जिट पोल के नतीजे कमोबेश उलट चुके हैं और विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. अपनी सीटों में उल्लेखनीय बढ़ोतरी करने जा रहा है।
लोकसभा चुनाव का अंतिम परिणाम देखने के लिए यहां क्लिक करें
फिर शाम होने के पहले ही यह स्पष्ट हो गया कि 543 सीटों वाली लोकसभा में सत्तारूढ़ भाजपा अकेले बहुमत के आंकड़े (272) से दूर रहेगी। हां, भाजपा की अगुआई वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) अवश्य बहुमत से आगे 290 से 300 सीटों के बीच रहेगा जबकि इंडी गठबंधन 230 से 240 सीटों के बीच पहुंचेगा।
भाजपा ने 240 सीटें जीतीं, एनडीए को 2019 के मुकाबले 61 सीटों का नुकसान
अंततः मंगलवार की मध्यरात्रि के बाद ढाई बजे के आसपास एक छोड़ अन्य 542 सीटों के परिणाम घोषित किए जा चुके थे। इनमें भाजपा (240 सीट) के नेतृत्व में एनडीए कुल 292 सीटों के साथ स्पष्ट बहुमत हासिल करने में सफल रहा। हालांकि 2019 के मुकाबले उसे 61 सीटों का नुकसान रहा, जब भाजपा ने 303 और एनडीए ने 353 सीटें जीती थीं।
कांग्रेस 99 सीटों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी
उधर कांग्रेस कुल 99 सीटें लेकर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी तो उसकी अगुआई में इंडी गठबंधन 233 सीटें लेकर प्रफुल्लित नजर आया और बुधवार को प्रस्तावित बैठक में वह सरकार बनाने की संभावनाओं पर भी विचार विमर्श करने को तैयार है। 2019 के चुनाव पर गौर करें तो कांग्रेस ने 52 सीटें जीती थीं जबकि उसके नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) ने कुल 92 सीटें जीती थीं। वहीं पिछली बार अन्य दलों और उनके गठबंधन ने 97 सीटें जीती थीं, जिनकी संख्या इस बार महज 18 रही।
एमपी, दिल्ली, उत्तराखंड व हिमाचल में भाजपा का क्लीन स्वीप
यदि राज्यों की बात करें तो भाजपा ने मध्य प्रदेश (29), दिल्ली (7), उत्तराखंड (5) व हिमाचल प्रदेश (4) में क्लीन स्वीप किया जबकि गुजरात की 26 में 25 और छत्तीसगढ की 11 में आठ सीटें भाजपा के पक्ष में रहीं। बिहार में भी एनडीए को 40 में 30 सीटें मिलीं तो ओडिशा, झारखंड, कर्नाटक, असम, आंध्र प्रदेश व तेलंगाना में भी उसका अच्छा प्रदर्शन रहा।
उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल व महाराष्ट्र में लगा झटका
लेकिन सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में सपा (37) व कांग्रेस (6) ने भाजपा (33) के एनडीए (36) से काफी सीटें छीन लीं। पिछली बार भाजपा ने ही अकेले 62 सीटें जीती थीं। वहीं पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की टीएमसी ने 42 में 29 सीटें जीतकर फिर अपना लोहा मनवाया। भाजपा बड़े दावों के बावजूद 12 सीटें जीत सकी जबकि कांग्रेस के हिस्से एक सीट आई।
महाराष्ट्र में भी एनडीए 48 में सिर्फ 18 सीटें ले सका जबकि कांग्रेस की अगुआई में इंडी गठबंधन के खाते में 29 सीटें रहीं। हरियाणा की 10 सीटें एनडीए व इंडी गठबंधन में बराबर-बराबर बंट गईं। जम्मू-कश्मीर की पांच सीटों में एनडीए व इंडी ब्लॉक के खाते में दो-दो सीटें रहीं।
इंडी गठबधंन का तमिलनाडु में क्लीन स्वीप
तमिलनाडु में उम्मीदों के अनुरूप सत्तारूढ़ डीएमके की अगुआई में इंडी गठबंधन ने 39 सीटें अपने नाम कीं। इनमें डीएमके ने 22, कांग्रेस ने नौ और अन्य सहयोगी दलों ने आठ सीटें जीतीं। तमिलनाडु की भांति पंजाब में भी भाजपा का खाता नहीं खुला, जहां 13 सीटों में कांग्रेस सात में जीत हासिल कर सबसे आगे रही तो सत्तारुढ़ आम आदमी पार्टी तीन सीटें पा सकी। वस्तुतः लोकसभा चुनाव में AAP ये ही तीन सीटें जीत भी सकी। अन्य राज्यों में उसका खाता नहीं खुल सका।