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Navratri 2023: शारदीय नवरात्रि में रखें इन वास्तु नियमों का ध्यान, होगा माता रानी का दर्शन

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लखनऊ, 11 अक्टूबर। हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है। नवरात्रि की शुरुआत आश्विन मास की शुक्ल प्रतिपदा तिथि से होती है। इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर, रविवार से हो रही है। नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है। इस दौरान यदि माता दुर्गा की मूर्ति को सही दिशा में स्थापित किया जाए तो व्यक्ति को माता रानी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

वास्तु शास्त्र में हर चीज के लिए अलग दिशा का निर्धारण किया है। इसी प्रकार वास्तु शास्त्र में नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की मूर्ति को भी स्थापित करने की सही दिशा बताई गई है। माता दुर्गा की मूर्ति को स्थापित करने के लिए घर के ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा को सबसे उत्तम माना गया है।

शारदीय नवरात्रि के पहले दिन घर के मुख्य द्वार पर दोनों तरफ चुना और हल्दी से स्वास्तिक बनाना चाहिए। ईशान कोण में (उत्तर और पूर्व के बीच की दिशा) देवी-देवताओं का माना गया है। ऐसे में मां की प्रतिमा या तस्वीर के साथ-साथ कलश की स्थापना भी घर ईशान कोण में ही करनी चाहिए।

माना जाता है कि नवरात्रि के दौरान अखंड ज्योत जलाने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ऐसे में अगर आप शारदीय नवरात्रि में अखंड ज्योति प्रज्जवलित कर रहे हैं, तो दीपक को घर के आग्नेय कोण में रखना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की ये दिशा अग्नि का प्रतिनिधित्व करती है, साथ ही यह भी माना गया है कि इस दिशा में अखंड ज्योति जलाने से शत्रुओं का नाश होता है।

वास्तु की माने तो पूजा करते समय व्यक्ति का मुख पूर्व या उत्तर की तरफ होना चाहिए, क्योंकि वास्तु शास्त्र में इस दिशा को शक्ति और शौर्य का प्रतीक माना जाता है। इसलिए इस दिशा में मुख करके पूजा करने से व्यक्ति के मान-सम्मान में वृद्धि होती है। इसके साथ ही मां दुर्गा की मूर्ति के ठीक पीछे दुर्गा बीसा यंत्र की स्थापना भी जरूर करें।

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