नई दिल्ली, 8 मई। कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में आ रही ऑक्सीजन की कमी से संबंधित विवाद में सर्वोच्च न्यायालय ने महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए एक नेशनल टास्क फोर्स का गठन कर दिया है। पूरे देश में ऑक्सीजन का मूल्यांकन करने और जरूरत के हिसाब से उसका आवंटन करना इस टास्क फोर्स की जिम्मेदारी होगी।
ऑक्सीजन की कमी से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह 12 सदस्यीय टास्क फोर्स शनिवार को गठित की, जिसमें देशभर के नामी-गिरामी अस्पतालों के प्रमुख डॉक्टरों को शामिल किया गया है। यह पैनल ग्रामीण क्षेत्रों में आवश्यक दवाओं, मैनपावर और चिकित्सा देखभाल के मुद्दों पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण के आधार पर एक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया भी प्रदान करेगा।
केंद्र सरकार में कैबिनेट सचिव स्तर के अधिकारी के संयोजकत्व में गठित इस टास्क फोर्स के अन्य सदस्यों में वेस्ट बंगाल यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज के पूर्व कुलपति डॉ. भाभातोश बिस्वास, दिल्ली स्थित सर गंगाराम अस्पताल के चेयरपर्सन डॉ. देवेंद्र सिंह राणा, नारायणा हेल्थ केयर के चेयरपर्सन डॉ. देवीशेट्टी, क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (वेल्लोर) के प्रोफेसर डॉ. गगनदीप कांग, डॉ. जेवी पीटर, मेदांता अस्पताल के चेयरपर्सन डॉ. नरेश त्रेहन, फोर्टिस अस्पताल के डॉ. राहुल पंडित, सर गंगाराम अस्पताल के डॉ. सौमित्र रावत, इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बायलरी साइंस (दिल्ली) के डॉ. शिव कुमार, मुंबई स्थित ब्रीच कैंडी अस्पताल के डॉ. जरीर एफ. और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव शामिल हैं।
गौरतलब है कि पिछले कई दिनों से देशभर के विभिन्न अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी देखी जा रही है। इस समस्या को लेकर विभिन्न राज्यों के उच्च न्यायालयों से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक कई वाद दाखिल किए गए हैं। इसी क्रम में पटना, इलाहाबाद और दिल्ली हाई कोर्ट ऑक्सीजन संकट को लेकर केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को फटकार भी लगा चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी पिछले दिनों सुनवाई के समय केंद्र सरकार को फटकार लगाई थी और दिल्ली को प्रतिदिन 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति करने के लिए कहा था।