नई दिल्ली, 11 मई। कोरोना संकट के बीच केंद्र सरकार ने मंगलवार को कुछ महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं, जिनके तहत अब प्रत्येक अस्पताल में रैपिड एंटीजेन टेस्ट की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी तो एक बार टेस्ट पॉजिटिव आ जाने के बाद बार-बार आरटी-पीसीआर टेस्ट कराने की जरूरत नहीं है। साथ ही पूरी तरह स्वस्थ व्यक्ति को एक राज्य से दूसरे राज्य जाने के लिए भी आरटी-पीसीआर टेस्ट कराने की जरूरत नहीं है।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की नियमित प्रेस ब्रीफिंग में बताया, ‘कोरोना की दूसरी लहर में रैपिड एंटीजेन टेस्ट पर जोर दिया जा रहा है ताकि जल्दी रिजल्ट पता चल जाए। हमने आरटीपीसीआर को रेशनलाइज किया। साथ ही जल्दी पहचान हो, इसलिए एंटीजेन टेस्ट पर जोर दिया। कोरोना की पहली लहर में हमने 70 फीसदी आरटी-पीसीआर 30 फीसदी एंटीजेन के लिए कहा था। लेकिन, अब एंटीजन पर ज्यादा जोर है।’
कोविड टेस्ट कम होने की शिकायतों पर उन्होंने स्पष्ट किया कि होम बेस्ड टेस्टिंग सल्यूशन पर भी काम हो रहा है। यानी ऐसा तरीका, जिससे घर पर ही टेस्ट हो जाए कि किसी को कोरोना है या नहीं।
उन्होंने कहा कि यदि आरटी-पीसीआर टेस्ट से यह पता चल गया कि कोई पॉजिटिव है तो फिर कोई और टेस्ट कराने की जरूरत नहीं है। हॉस्पिटल से डिस्चार्ज करने के लिए भी निगेटिव चेक करने के लिए टेस्ट की जरूरत नहीं हैं। इसकी वजह यह है कि आरटी-पीसीआर आरएनए पार्टिकल को पकड़ता है और शरीर में लाइव वायरस न भी हो तो भी टेस्ट पॉजिटिव दिखा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई पूरी तरह स्वस्थ है तो एक राज्य से दूसरे राज्य जाने के लिए फिर आरटी-पीसीआर टेस्ट की जरूरत नहीं है।
डॉ. भार्गव ने कहा कि देश में आरटी-पीसीआर टेस्ट की प्रतिदिन की क्षमता 16 लाख की जबकि रैपिड एंटीजेन टेस्ट की क्षमता 17 लाख प्रतिदिन की है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष अप्रैल और मई में 16 से 20 लाख आरटी-पीसीआर और एंटीजेन टेस्ट किए गए। गत 30 अप्रैल को 19,45,299 टेस्ट किए गए, जो दुनिया में किसी भी देश के मुकाबले ज्यादा हैं। किसी भी देश ने आज तक एक ही दिन इतने टेस्ट नहीं किए। गत पांच मई को भी 19,23,131 टेस्ट किए गए।
उन्होंने कहा कि देश में पॉजिटिविटी रेट लगभग 21 फीसदी के करीब है। देश में 310 जिले ऐसे हैं, जहां पॉजिटिविटी रेट देश की औसत पॉजिटिविटी रेट से अधिक है।