नई दिल्ली, 18 जून। नामी गिरामी स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अनुमान व्यक्त किया है कोविड-19 संक्रमण की तीसरी लहर इसी वर्ष अक्टूबर तक भारत में आ सकती है। हालांकि पिछले एक वर्ष से ज्यादा समय से इस महामारी से जूझ रहे भारत में आशंकित तीसरी लहर को लेकर व्यापक तैयारियां की जा रही हैं। लेकिन एक सर्वे में इन विशेषज्ञों ने राय जाहिर की है कि यह महामारी कम से कम और एक वर्ष तक सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा बनी रहेगी।
एक विदेशी समाचार एजेंसी के सर्वे में दुनियाभर के 40 स्वास्थ्य विशेषज्ञों, चिकित्सकों, वैज्ञानिकों, वायरोलॉजिस्ट, महामारी वैज्ञानिकों और प्रोफेसरों को शामिल किया गया। इनसे तीन से 17 जून के बीच प्रतिक्रिया ली गई। इनमें ज्यादातर का मानना यही था कि टीकाकरण में तेजी प्रकोप से कुछ हद तक बचाव करेगी।
अनुमान जाहिर करने वालों में से 85 फीसदी से अधिक यानी 24 में से 21 ने कहा कि अगली लहर अक्टूबर तक आएगी। इनमें से तीन ने अगस्त की शुरुआत और 12 ने सितम्बर में इसके आने की भविष्यवाणी की। अन्य तीन ने नवम्बर से फरवरी के बीच इसके आने की बात कही।
कोरोना की तीसरी लहर से बखूबी निबटा जा सकेगा
फिलहाल सर्वे के दौरान 70 फीसदी से ज्यादा विशेषज्ञों यानी 34 में से 24 का कहना था कि किसी भी नए प्रकोप को वर्तमान समय की तुलना में बेहतर तरीके से नियंत्रित किया जा सकेगा। मौजूदा लहर कहीं ज्यादा विनाशकारी रही है। इस दौरान वैक्सीन, दवाओं, ऑक्सीजन और हॉस्पिटल बेड की कमी देखने को मिली। पहली लहर के मुकाबले यह ज्यादा लंबी भी रही है।
इसी क्रम में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा, ‘नई लहर पर ज्यादा नियंत्रण होगा। इसके आने तक काफी लोगों का वैक्सिनेशन हो चुका होगा। दूसरी लहर से भी कुछ हद तक नैसर्गिक इम्यूनिटी मिलेगी।’
वैसे देखा जाए तो अब तक भारत ने वैक्सीन के लिए अर्हता रखने वाली करीब 95 करोड़ आबादी में से सिर्फ पांच फीसदी को ही पूरी तरह से टीका लगाया है। इस प्रकार अब भी कई लाख लोगों पर संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है।
बच्चों में संक्रमण को लेकर विरोधाभासी राय
लगभग दो-तिहाई विशेषज्ञों यानी 40 में से 26 का यह भी कहना था कि बच्चों सहित 18 वर्ष से कम उम्र के लोगों को आशंकित तीसरी लहर में सबसे अधिक जोखिम होगा। इसके विपरीत 14 विशेषज्ञों ने कहा कि बच्चों को जोखिम नहीं है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज (एनआईएमएचएएनएस) में महामारी विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. प्रदीप बनंदूर ने कहा, ‘इस आबादी को वैक्सीन नहीं मिली है। इस पर काम हो रहा है। वर्तमान में उनके लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है।’
पहले से तैयारी नहीं की गई तो स्थिति और खराब होगी
नारायण हेल्थ में कार्डियोलॉजिस्ट और महामारी प्रतिक्रिया योजना पर कर्नाटक सरकार के सलाहकार डॉ. देवी शेट्टी ने कहा, ‘अगर बच्चे बड़ी संख्या में संक्रमित हो जाते हैं और हम तैयार नहीं होते तो आप अंतिम समय में कुछ नहीं कर सकते। यह एक अलग समस्या होगी। कारण है कि देश में बच्चों के लिए बहुत कम इंटेंसिव केयर यूनिट बेड्स हैं। पहले से तैयारी नहीं की गई तो स्थिति बहुत खराब हो जाएगी।’
टीकों को बेअसर नहीं कर पाएंगे भविष्य के वैरिएंट
38 में से 25 विशेषज्ञों ने कहा कि भविष्य के कोरोना वैरिएंट मौजूदा टीकों को बेअसर नहीं बना पाएंगे। वहीं, एक प्रश्न के जवाब में 41 में से 30 विशेषज्ञों ने कहा कि कोरोना भारत में कम से कम एक वर्ष तक सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा बना रहेगा। 11 विशेषज्ञों ने कहा कि खतरा एक वर्ष से कम समय तक रहेगा। वहीं 15 ने कहा कि यह दो वर्ष से कम और 13 ने कहा कि यह दो वर्ष से अधिक समय तक रहेगा। दो ने यहां तक कहा कि जोखिम कभी दूर नहीं होंगे।