जयपुर, 22 जून। राजस्थान में कॉलेज और विश्वविद्यालयों की परीक्षाओं को लेकर मंगलवार को भी कोई फैसला नहीं हो सका। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में आज दोपहर इस बाबत बैठक हुई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल पाया। ऐसे में लंबे समय से परीक्षा पर फैसले का इंतजार कर रहे उच्च शिक्षा के करीब 20 लाख परीक्षार्थियों का भविष्य अधर में लटका हुआ है।
दरसअल, कोरोना संकट के दौर में कॉलेज और विश्वविद्यालयों की परीक्षाओं पर निर्णय लेने के लिए गत 25 मई को एक समिति गठित की गई थी। इस समिति ने 10 जून को अपनी रिपोर्ट उच्च शिक्षा मंत्री को सौंपी थी।
25 मई को गठित समिति सौंप चुकी है अपनी रिपोर्ट
समिति की ओर से दिए गए प्रस्तावों पर विचार-विमर्श कर मुख्यमंत्री के स्तर पर यह फैसला लिया जाना है कि उच्च शिक्षा के विद्यार्थियों की परीक्षा होगी या नहीं। परीक्षा होती है तो किस प्रारूप में होगी और नहीं होती तो विद्यार्थियों को प्रमोट करने का क्या फार्मूला होगा। इस मसले पर फैसला लेने के लिए पिछले दो दिनों में दो बार बैठक हो चुकी है। अब आगामी दिनों होने वाली बैठक में इस मुद्दे पर निर्णय होने की बात कही जा रही है।
उच्च शिक्षा विभाग के सूत्रों का कहना है कि स्नातक के प्रथम और द्वितीय वर्ष के विद्यार्थियों को प्रमोट करने और अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों की परीक्षा कराए जाने की चर्चा चल रही है। इधर, विद्यार्थियों की मांग है कि या तो पहले सभी विद्यार्थियों और स्टाफ को वैक्सिनेट कर परीक्षा ली जाए या फिर विद्यार्थियों को प्रमोट किया जाए।
आगामी सत्र को लेकर भी संशय बरकरार
अप्रैल-मई में विश्वविद्यालय और कॉलेजों की परीक्षाएं होनी थीं और जुलाई से नया सत्र शुरू होना था। लेकिन अब तक परीक्षा कराने या विद्यार्थियों को प्रमोट करने को लेकर कोई फैसला नहीं होने से आगामी सत्र को लेकर भी संशय बरकरार है।