नई दिल्ली, 25 जून। देश में व्याप्त कोविड-19 महामारी के बीच गर्भवती महिलाओं को बड़ी राहत मिली, जब केंद्र सरकार ने उन्हें भी कोरोनारोधी वैक्सीन लगवाने की अनुमति प्रदान कर दी। इस निमित्त स्वास्थ्य मंत्रालय ने नई गाइडलाइंस भी जारी कर दी है।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने शुक्रवार को यहां आहूत स्वास्थ्य मंत्रालय की नियमित प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि गर्भवती महिलाओं पर वैक्सीन प्रभावी है। उन्होंने बताया, ‘स्वास्थ्य मंत्रालय ने गाइडलाइन दी है कि गर्भवती महिलाओं को वैक्सीन दी जा सकती है। टीकाकरण गर्भवती महिलाओं में उपयोगी है और इसे दिया जाना चाहिए।’
देश की दोनों वैक्सीन कोरोना के सभी वैरिएंट के खिलाफ कारगर
डॉ भार्गव ने कहा कि देश में उपलब्ध दोनों वैक्सीन (कोविशील्ड और कोवैक्सीन) SARS CoV 2 – अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ कारगर हैं। डेल्टा प्लस वैरिएंट फिलहाल 12 देशों में मौजूद है। भारत में 48 मामलों की पहचान की गई है, लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि वे बहुत घरेलू स्तर की हैं।
उन्होंने बताया, ‘डेल्टा प्लस वायरस भी अब अलग और सुसंस्कृत हो गया है। इसके लिए भी हम वही परीक्षण कर रहे हैं, जो हमने अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा के लिए किया है। टीके के प्रभाव की जांच के लिए प्रयोगशाला परीक्षण को देखते हुए और हमें लगभग सात से 10 दिनों में परिणाम मिल जाना चाहिए।’
बच्चों को वैक्सीन पर अभी और आंकड़े जुटाए जा रहे
बच्चों के टीकाकरण के सवाल पर डॉ. भार्गव ने कहा, ‘अब तक एक ही देश है, जो इस समय बच्चों को वैक्सीन दे रहा है। हालांकि बहुत छोटे बच्चों को टीके की आवश्यकता होगी, यह अब भी एक प्रश्न है। जब तक हमारे पास बच्चों के टीकाकरण के बारे में अधिक आंकड़े नहीं होंगे, हम बड़े पैमाने पर बच्चों का टीकाकरण करने की स्थिति में नहीं होंगे।’
हालांकि डॉ. भार्गव ने यह भी कहा, ‘हमने 2-18 वर्ष की आयु के बच्चों पर एक छोटा अध्ययन शुरू किया है और हमारे पास सितम्बर या उसके बाद इसके परिणाम आ जाएंगे। यद्यपि अंतरराष्ट्रीय जूरी अब भी बच्चों के टीकाकरण को लेकर असमंजस में है और इस बात पर विचार विमर्श जारी है कि क्या बच्चों को टीकाकरण की आवश्यकता है। हमने अमेरिका में इसे लेकर कुछ जटिलताएं भी देखी हैं।’