नयी दिल्ली,13 दिसम्बर। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गत शनिवार को केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की दसवीं कक्षा की अर्द्धवार्षिक परीक्षा में एक प्रश्न में महिलाओं के बारे में अपमानजनक पैराग्राफ लिखे जाने पर हैरानी जताते हुए आज लोकसभा में सरकार से मांग की कि वह प्रश्नपत्र से इस प्रश्न को हटाए और क्षमायाचना करे।
सोनिया गांधी ने शून्यकाल में यह मामला उठाया। उन्होंने कहा कि सीबीएसई के 10वीं कक्षा के 11 दिसंबर को अर्द्धवार्षिक परीक्षा के एक प्रश्नपत्र में कहा गया है कि समाज में महिलाओं के उत्थान होने एवं उन्हें पहचान मिलने से सामाजिक एवं पारिवारिक समस्याएं बढ़ रही हैं। बच्चों एवं नौकरों में अनुशासनहीनता बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि इस अंश को पढ़ कर देश के सभ्य नागरिक हतप्रभ हैं। यह पैराग्राफ अत्यंत निंदनीय है।
उन्होंने कहा कि वह विद्यार्थियों, अभिभावक और शिक्षक की चिंताओं में अपनी आवाज़ मिला रहीं हैं और ऐसे कुत्सित स्त्रीविरोधी सामग्री पर कड़ी आपत्ति व्यक्त करती हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष सीबीएसई की परीक्षा में घटिया विचारों से युवाओं एवं महिलाओं की गरिमा गिरी है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं भारतीय जनता पार्टी के इस गठजोड़ द्वारा युवा मस्तिष्क को दूषित करके देश के भविष्य को बर्बाद किया जा रहा है।
सोनिया गांधी ने कहा कि वह शिक्षा मंत्रालय एवं सीबीएसई से आग्रह करती हैं कि वे इस प्रश्न को तत्काल वापस करें, क्षमायाचना करें और इस मामले की गहरायी से जांच करें ताकि भविष्य में फिर कभी भी ऐसी गलती नहीं दोहरायी जा सके। सोनिया गांधी के इस वक्तव्य के बाद सदन में कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने सरकार से जवाब देने की मांग की, लेकिन सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं मिलने के बाद कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, वामदल, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीड आदि दलों के सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया।