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शिक्षा के बगैर सामाजिक क्रांति संभव नहीं : सीएम योगी

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गोरखपुर, 10 दिसम्बर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि सामाजिक क्रांति शिक्षा के बगैर संभव नहीं है। शिक्षा सामाजिक रूढ़ियों पर प्रहार करने का माध्यम है। गोरक्षपीठ ने सदैव उन रूढ़ियों का विरोध किया है जो सामाजिक एकता में बाधक रही हैं। गोरक्षपीठ ने शिक्षा को सर्वांगीण विकास का माध्यम बनाने के लिए ही महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की थी।

सीएम योगी शुक्रवार को महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के 89वें संस्थापक सप्ताह समारोह के समापन पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे थे। इस अवसर पर मुख्य अतिथि केंद्रीय शिक्षा, कौशल एवं उद्यमिता विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा के बिना कोई भी समाज सभ्य और संस्कारयुक्त होने की कल्पना नहीं कर सकता और जब सभ्यता और संस्कार नहीं होगा तो समाज में समृद्धि कहां से आएगी। कहा कि 1932 में जब युगपुरुष महंत दिग्विजयनाथ ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की नींव रखी होगी तो उनके मन में यकीनन यही भाव रहा होगा कि आजाद भारत के नागरिकों का स्वरूप क्या हो। आज परिषद की संस्थाएं उनके भाव का साकार रूप में प्रतिनिधित्व कर रही हैं।

धर्म सिर्फ उपासना विधि तक सीमित नहीं:-
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा धर्म हमें सिर्फ उपासना विधि तक सीमित नहीं रखता। हमारा दर्शन धर्म की व्याख्या विराट रूप में जाता है। भारतीय मनीषा ने सिर्फ उपासना विधि को संपूर्ण धर्म नहीं माना। “यतो अभ्युदयनि:श्रेय स सिद्धि:स धर्म:‘ की व्याख्या करते हुए सीएम योगी ने कहा कि धर्म अभ्युदय अर्थात सर्वांगीण विकास का मार्ग है। यह संस्कारित उत्कर्ष का महत्वपूर्ण पहलू है। अभ्युदय चार पुरुषार्थो धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि पुण्य से कोई रोक नहीं सकता और पाप से कोई वंचित नहीं कर सकता।

शिक्षा के साथ आरोग्यता व समाज सेवा को समर्पित है गोरक्षपीठ:-
सीएम योगी ने कहा कि धर्मस्थलों का स्वरूप सिर्फ पूजा के स्थलों तक सीमित नहीं होना चाहिए बल्कि इसे नेतृत्व करते दिखाई देना चाहिए। गोरक्षपीठ के संतों-महंतों का यही ध्येय रहा। गोरक्षपीठ महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के जरिये न केवल शिक्षा वरन आरोग्यता और समाज सेवा को भी समर्पित है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद देश के नागरिक का स्वरूप क्या हो, इसी को ध्यान में रखकर युगपुरुष महंत दिग्विजयनाथ ने 1932 में शिक्षा परिषद का नामकरण महानायक महाराणा प्रताप के नाम पर किया। आत्म बलिदान और शौर्य की चर्चा का नाम है महाराणा प्रताप। महाराणा प्रताप ने स्वदेश और स्वाभिमान से बढ़कर कुछ नहीं माना। उनके नाम पर स्थापित इस शिक्षा परिषद राष्ट्रीयता से ओतप्रोत प्राचीन गुरुकुल पद्धति का नवीनतम रूप है।

शिक्षा नीति के परिणामों से जोड़ने की तैयारी करें संस्थाएं:-
मुख्यमंत्री ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू हो चुकी है। हरेक संस्था को चाहिए कि वह सरकार की इस नीति की मंशा के अनुरूप कार्य योजना बनाएं। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के जब तक परिणाम आएंगे, तब तक महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद अपनी स्थापना का शताब्दी वर्ष मना रहा होगा। परिषद से जुड़ी सभी संस्थाएं इसके परिणामो से खुद को जोड़ने की तैयारी में जुट जाएं।

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