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आईसीएमआर का नया अध्ययन : कोरोनारोधी टीका लगवा चुके लोगों को भी संक्रमित करता है डेल्टा वैरिएंट

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चेन्नई, 19 अगस्त। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एक अध्ययन में कोरोना संक्रमण के डेल्टा वैरिएंट को लेकर किए गए खुलासे ने विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है। जानलेवा महामारी की तीसरी लहर की आशंका के बीच आईसीएमआर की ओर से यहां की गई स्टडी में पाया गया है कि संक्रमण का डेल्टा वैरिएंट कोरोनारोधी टीके की खुराक ले चुके लोगों को भी संक्रमित करता है। यही नहीं, वरन जो लोग पहले संक्रमित नहीं हुए हैं, उन्हें भी यह वैरिएंट संक्रमित करने की क्षमता रखता है।

आईसीएमआर और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी, चेन्नै द्वारा अनुमोदित इस अध्ययन के निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि डेल्टा वैरिएंट या बी.1.617.2 की व्यापकता टीकाकरण और बिना टीकाकरण वाले समूहों के बीच भिन्न नहीं थी। रिपोर्ट में अन्य अध्ययनों का हवाला दिया गया है, जिसमें डेल्टा वैरिएंट के संक्रमण के बाद कोविशील्ड और कोवैक्सिन की डोज लेने वालों के बीच न्यूट्रलाइजेशन टाइट्स में कमी के संकेत मिले हैं।

गौरतलब है कि कोरोना वायरस के डेल्ट स्वरूप को लेकर पूरी दुनिया चिंतित है। भारत में दूसरी लहर के दौरान डेल्टा वैरिएंट के कुछ मामले सामने आए थे और अभी कुछ राज्यों में इसके केस मिल भी रहे हैं। संक्रमण के तीव्र परिवर्तनशील डेल्टा स्वरूप के सबसे ज्यादा मामले दक्षिणी राज्य केरल में मिले हैं, जहां मौजूदा समय 1.80 लाख के लगभग एक्टिव केस हैं।

अध्ययन में शामिल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी के एक वैज्ञानिक जेरोमी थंगराज ने कहा कि चूंकि नमूने का साइज कम था, इसलिए उन्होंने पुन: संक्रमण को शामिल नहीं किया। उन्होंने बताया कि नमूनों की संख्या काफी कम थी और आगे यह क्लासिफाई नहीं किया गया था कि क्या टीकाकरण के बाद लोग संक्रमित हुए। हालांकि, टीकाकरण ग्रुपों में गंभीर बीमारी की वजह से मृत्यु दर में बढ़ोतरी करने वाले रोगियों का अनुपात कम था।

थंगराज ने कहा कि पूरी तरह वैक्सिनेटेड ग्रुप में किसी की मौत नहीं हुई, जबकि जबकि तीन आंशिक रूप से टीका लगाए गए (मरीजों) और सात गैर-टीकाकरण वाले रोगियों की मृत्यु हो गई। मई में अध्ययन पूरा होने के बाद, डेटा को तमिलनाडु के स्वास्थ्य विभाग के साथ साझा किया गया था।

भारत में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान चेन्नई सबसे बुरी तरह प्रभावित शहरों में से एक था, जहां मई 2021 के पहले तीन हफ्तों के दौरान प्रतिदिन लगभग छह हजार मामले दर्ज किए गए थे।

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