नई दिल्ली, 26 जून। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एक अध्ययन में दावा किया गया है कि देश मे यदि कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर आती है तो वह दूसरी वेव जितनी खतरनाक नहीं होगी।
तीसरी लहर में मुख्य कारक हो सकता है डेल्टा प्लस वैरिएंट
गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर देश में काफी तबाही मचाने के बाद लगभग डेढ़ माह से लगातार कम हो रही है, लेकिन पिछले दिनों सामने आए कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट ने फिर चिंताएं बढ़ा दी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि तीसरी लहर आई तो उसमें डेल्टा प्लस वैरिएंट एक मुख्य कारक के रूप में कार्य कर सकता है।
फिलहाल आईसीएमआर के अध्ययन में कहा गया है कि भारत में अगर कोरोना की तीसरी लहर आती है तो यह दूसरी लहर जितनी गंभीर नहीं होगी। हालांकि टीकाकरण के प्रयासों में तेजी से बढ़ोतरी न सिर्फ कोरोना बल्कि भविष्य में किसी अन्य लहर को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
संक्रमण की जद में आए लोग फिर हो सकते हैं संक्रमित
अध्ययन में तीसरी लहर की संभावनाओं को लेकर कहा गया है कि संक्रमण आधारित प्रतिरक्षा क्षमता या इम्युनिटी कैपेसिटी समय के साथ कम हो सकती है। ऐसे में पहले से संक्रमण की हद में आ चुके लोग एक बार फिर संक्रमित हो सकते हैं।
इस बीच आईसीएमआर की ओर से हाल ही में किए गए अन्य अध्ययन से पता चला है कि गर्भवती महिलाएं भारत में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान पहले की तुलना में अधिक गंभीर रूप से प्रभावित हुईं हैं। इस वर्ष ऐसी महिलाओं की मृत्यु दर और संक्रमित मामलों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है।
ऐसे में आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने शुक्रवार को बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय की नई गाइडलाइंस के अनुसार गर्भवती महिलाओं को टीका लगाया जा सकता है। टीकाकरण ऐसी महिलाओं के लिए उपयोगी है और इसे दिया जाना चाहिए।