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कोरोना संकट : सक्रिय मामलों की धीमी गिरावट महाराष्ट्र और केरल में खड़ी कर सकती है मुसीबत

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नई दिल्ली, 12 जुलाई। महाराष्ट्र और केरल में कोविड-19 के सक्रिय मामलों में धीमी गिरावट फिर मुसीबत खड़ी कर सकती है। चेन्नै के इंस्टीट्यूट ऑफ मैथमैटिकल साइंस के वैज्ञानिकों के एक अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है। अध्ययन के अनुसार कोरोना वायरस के ‘आर’ फैक्टर यानी रिप्रोडक्शन रेट से इन राज्यों में संक्रमण के मामले फिर से बढ़ने की आशंका है।

दोनों राज्यों में ‘आर’ फैक्टर है चिंता का कारण

‘आर’ फैक्टर के बढ़ने का मतलब देशभर में एक्टिव मामलों की संख्या से है। सोमवार को पूर्वाह्न केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार देश में सक्रिय मामलों या यानी इलाजरत मरीजों की संख्या लगभग 4.5 लाख थी, जो गत मार्च के अंत से सबसे कम है। स्टडी में कहा गया है कि इस तथ्य को सतर्कता के साथ देखा जाना चाहिए क्योंकि गिरावट की दर धीमी है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार महाराष्ट्र में रविवार को 8,535 नए संक्रमित मिले थे और राज्य में एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर फिर 1,19,442 लाख हो गई है । महाराष्ट्र में ‘आर’ फैक्टर मई के मध्य में 0.79 था, जो 30 मई को बढ़कर 0.84 और जून के अंत में 0.89 हो गया। बीते दिनों के आंकड़ों से पता चलता है कि यह अब एक के करीब हो गया है।

इसी प्रकार केरल में पिछले दो दिनों के मुकाबले रविवार को कुछ कम, फिर भी 12,220 नए संक्रमित मिले थे और एक्टिव मामलों की संख्या 1,15,327 थी। केरल में ‘आर’ फैक्टर इस महीने की शुरुआत में एक को पार कर गया था। बीते दिनों आंकड़ों के अनुसार इसके एक के निकट होने का पता चल रहा है।

अध्ययन की मुख्य शोधकर्ता सीताभ्रा सिन्हा का कहना था कि अंतर कम दिखता है, लेकिन इससे बढ़ोतरी की अधिक दर का संकेत मिल रहा है। इसमें 0.1 का भी बदलाव बड़ा अंतर कर सकता है।’

पूर्वोत्तर राज्यों में भी चिंता बढ़ा रहा यह फैक्टर
पूर्वोत्तर राज्यों में भी यह फैक्टर चिंता बढ़ा रहा है। मणिपुर में यह एकसे अधिक है। पिछले सप्ताह के आंकड़ों से पता चला था कि देश में 10 प्रतिशत से अधिक के सकारात्मकता दर वाले 73 जिलों में से 47 पूर्वोत्तर में हैं।

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