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‘किसान संसद’ में राकेश टिकैत की चेतावनी – जो सांसद हमारे हक में नहीं बोलेगा, उसका क्षेत्र में विरोध करेंगे

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नई दिल्ली, 22 जुलाई। किसान नेता राकेश टिकैत ने चेतावनी दी है कि कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन में जो भी सांसद संसद में किसानों के हक में नहीं बोलेगा, उसके ही क्षेत्र में उसका विरोध किया जाएगा। केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले आठ माह से जारी किसान आंदोलन के क्रम में गुरुवार से जंतर मंतर पर आयोजित ‘किसान संसद’ को संबोधित करते हुए टिकैत ने यह हमला बोला।

हन्नान मोल्लाह ‘किसान संसद’ के अध्यक्ष, मंजीत सिंह राय डिप्टी स्पीकर

इसके पूर्व दिल्ली की सीमाओं पर महीनों से डटे आंदोलनकारी किसान दिन में जंतर मंतर पहुंचे। वहां संयुक्तक किसान मोर्चा के नेतृत्व में ‘किसान संसद’ बैठी। आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों को श्रद्धांजलि देने के साथ आयोजन की शुरुआत हुई। भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह को ‘किसान संसद’ का अध्यक्ष बनाया गया है जबकि मंजीत सिंह राय को डिप्टी स्पीकर बनाया गया है।

9 अगस्त तक जंतर मंतर पर प्रदर्शन की अनुमति

गौरतलब है कि दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल ने अधिकतम 200 किसानों को नौ अगस्त तक जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने की अनुमति दी है। उसी दिन संसद का मॉनसून सत्र भी समाप्त होगा। इस दौरान प्रतिदिन पूर्वाह्न 11 बजे से लेकर शाम पांच बजे तक प्रदर्शन की अनुमति है।

‘किसान संसद’ को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा, ‘अगर सांसद किसानों के हक में संसद के भीतर आवाज नहीं उठाते तो चाहे वह किसी भी दल के हों, उनके संसदीय क्षेत्र में उनका पुरजोर विरोध होगा।’

सांसद ईमानदार हैं तो हमारा सवाल उठाएं : मोल्लाह

मोल्लाह ने कहा, “आज तीन कानूनों के पहले कानून एपीएमसी पर चर्चा हुई। इसके बाद हम कानून को संसद में खारिज करेंगे और संसद से अपील करेंगे कि ‘किसान संसद’ की बात मानकर कानून खारिज करे।”

मोल्लाह ने कहा, ‘किसानों की बात संसद नहीं सुन रही है, इसलिए सभी सांसदों को हमने चिट्ठी दी है कि हमारे वोट से जीते हैं तो ऐसा करें कि हम वोट देते समय याद रखें। ईमानदार हैं तो हमारा सवाल उठाएं। आज हम यहां आए।’

हमारी भी जासूसी कराई जा रही : शिव कुमार कक्का
किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा, ‘यह एक अनैतिक सरकार है। हमें अंदेशा है कि हमारे नंबर उन लोगों की सूची में शामिल हैं, जिनकी जासूसी कराई जा रही है।’ उन्होंने आरोप लगाया कि जासूसी के पीछे सरकार है। यह स्पष्ट है और यह मुद्दा जोर पकड़ रहा है।

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