नई दिल्लीू, 19 जुलाई। केंद्र सरकार ने सोमवार से शुरू हो रहे संसद के बहुप्रतीक्षित मॉनसून सत्र में 31 विधयकों पर चर्चा के उपरांत उन्हें पास कराने की योजना बनाई है। वहीं विपक्ष ने कोविड कुप्रबंधन, महंगाई और किसान आंदोलन सहित कई मुद्दों पर केंद्र को घेरने की तैयारी कर रखी है। सोमवार से शुरू हो रहा है। संसद का यह सत्र 13 अगस्त तक प्रस्तावित है।
सत्र के दौरान सदन की कुल 19 बैठकें होंगी
मॉनसून सत्र की व्यवस्थित तरीके से चलाने की तैयारी के क्रम में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और पीएम नरेंद्र मोदी ने रविवार को विभिन्नप दलों के नेताओं के साथ बैठक की। बैठक के बाद लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, ‘संसद के इस सत्र में कुल 19 बैठकें होंगी। संसद की कार्यवाही के दौरान कोरोना नियमों का पालन होगा। मेरी सभी पार्टियों के साथ चर्चा हुई। संसद में विभिन्न मुद्दों पर सार्थक और सकारात्मक चर्चा होनी चाहिए। इस सत्र में छोटे दलों को भी पर्याप्त समय दिया जाएगा।’
सभी मुद्दों पर लोकतांत्रिक तरीके से हो चर्चा : पीएम मोदी
लोकसभा अध्य क्ष की ओर से बुलाई गई बैठक से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यईक्षता में भी सर्वदलीय बैठक हुई। सरकार ने साफ किया कि वह संसद में स्वस्थ और उपयोगी प्रत्येक बहस के लिए तैयार है। संसदीय नियमों और प्रक्रियाओं के तहत कोई मुद्दा उठाया जाता है तो सरकार कोई आपत्ति नहीं है। बैठक में पीएम मोदी ने संसद के कामकाज के सुचारू संचालन और उक्तप कानूनों को पारित कराने के लिए सभी दलों से सहयोग मांगा।
पीएम मोदी ने कहा कि सरकार संसद में विभिन्न मुद्दों पर स्वस्थ और सार्थक चर्चा को तैयार है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- सभी मुद्दों पर लोकतांत्रिक तरीके से चर्चा की जानी चाहिए और सभी दलों को सदन चलाने में सहयोग करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्ष के सुझाव मूल्यवान हैं क्योंकि वे चर्चा को समृद्ध बनाते हैं। बैठक में राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी सहित 33 राजनीतिक दलों के 40 से ज्यादा नेता मौजूद थे।
विपक्ष ने भी सरकार को घेरने की बनाई रणनीति
फिलहाल कांग्रेस सहित दूसरे विपक्षी दलों ने भी सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है। इससे साफ है कि सत्र के शुरुआती दिन हंगामेदार होंगे। विपक्ष जिन मुद्दों को लेकर सरकार को घेरने की रणनीति बना रहा है, उनमें कोरोना की दूसरी लहर के कुप्रबंधन, वैक्सीन की कमी, पेट्रोल-डीजल और घरेलू गैस की कीमतों में बढ़ोतरी और कृषि कानून विरोधी आंदोलन जैसे मुद्दे शामिल हैं। वहीं, सत्ता पक्ष भी बंगाल में भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्याओं और उत्तर प्रदेश में सामने आए धर्मांतरण जैसे मुद्दों पर चर्चा की मांग कर सकता है।