नई दिल्ली, 21 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में कानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता की संदिग्ध मौत के मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जांच में देरी का मामला उच्चतम न्यायालय पहुंच गया है। याचिकाकर्ता के वकील आनंद शंकर ने गुरुवार को बताया कि मृतक की पत्नी मीनाक्षी गुप्ता ने याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता ने उत्तर प्रदेश सरकार कि एसआईटी जांच पर कई सवाल उठाते हुए निष्पक्ष जांच के लिए तत्काल सीबीआई को जांच करने का आदेश देने की गुहार लगाई गई है । बुधवार को दायर याचिका में आरोप लगाया है कि एसआईटी अपनी जांच में लापरवाही कर रही है जिससे साक्ष्यों के नष्ट होने का खतरा बना हुआ है।
सीबीआई जांच शुरू होने तक एसआईटी को जांच का जिम्मा सरकार ने दिया था। जांच में कोई प्रगति नहीं है। याचिका में कहा गया की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 30 सितंबर को सीबीआई जांच घोषणा की थी। उत्तर प्रदेश सरकार ने आधिकारिक रूप से सीबीआई जांच कराने की बात कही गई थी लेकिन घोषणा के तीन की सप्ताह बीतने के बाद भी इस मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी ने जांच शुरू नहीं की है। याचिका में कहा गया है कि इस मामले में घटना के बाद से ही पुलिस की लापरवाही दिखाई दे रही है। घटना के करीब 48 घंटे बाद प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
इस मामले में स्थानीय थाना अध्यक्ष समेत छह पुलिस कर्मियों पर पिटाई करने के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। आरोप लगाया गया है कि पिटाई के कारण मनीष की मौत हुई थी। हालांकि, पुलिस की ओर से कहा गया था कि मनीष नशे में था और बिस्तर से गिरने के बाद उसके सिर में चोट लग गई। पुलिस ने उसे गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाया था, जहां इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया था। प्राथमिकी दर्ज होने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी आरोपी पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया और उनके खिलाफ विभागीय जांच की जा रही है।
मनीष अपने दो अन्य साथियों के साथ एक होटल में ठहरा हुआ था जहां पुलिस ने बदमाशों के रुके होने के संदेश में दबिश की थी और इसी दौरान यह घटना हुई थी। हालांकि मृतक की पत्नी ने आरोप लगाया है कि पुलिस जांच के दौरान मनीष की पिटाई की जिससे उसकी मौत हो गई। याचिका के अनुसार घटना 27 सितंबर रात हुई थी और इस मामले में प्राथमिकी 29 सितंबर को अपराहन 1:30 बजे दर्ज की गई।