नई दिल्ली, 22 जुलाई। केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले आठ माह से जारी किसान आंदोलन का पड़ाव संसद के मॉनसून सत्र के दौरान जंतर मंतर तक क्या पहुंचा कि केंद्र सरकार और विपक्षी दलों को नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर फिर शुरू हो गया। सत्ता पक्ष ने गुरुवार से शुरू हुई ‘किसान संसद’ को ड्रामा करार दिया तो विपक्षी दलों ने किसानों की आवाज संसद में पुरजोर तरीके से उठाने की वकालत की।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने दिन में कहा कि किसान संगठन यदि बिंदुवार मामले रखें तो सरकार उनसे फिर वार्ता करने के लिए तैयार है। लेकिन दोपहर बाद विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने विवादित टिप्पणी करते हुए कह दिया कि आंदोलनकारी किसान नहीं बल्कि मवाली हैं।
ये आपराधिक गतिविधियां हैं, इनका संज्ञान लिया जाए : मीनाक्षी लेखी
लेखी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘इसका संज्ञान भी लेना चाहिए, ये आपराधिक गतिविधियां हैं। जो कुछ 26 जनवरी को हुआ, वो भी शर्मनाक था, आपराधिक गतिविधियां थीं, उसमें विपक्ष द्वारा ऐसी चीजों को बढ़ावा दिया गया।’
खड़गे बोले – कानून में खामियों को हम पहले भी बता चुके हैं
दूसरी तरफ राज्यसभा ने नेता प्रतिपक्ष व वरिष्ठ कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने किसान आंदोलन को पूर्ण समर्थन देते हुए कहा कि उनकी पार्टी संसद में यह मामला पूरी गंभीरता से उठाएगी। उन्होंने कहा, ‘हम किसानों के मुद्दों को सदन में उठा रहे हैं। किसान हमारी रीढ़ की हड्डी है। किसानों के बिना हम जी नहीं सकते। उस आवाज को उठाना जरूरी है और हम उठाएंगे।’
खड़गे ने कहा, ‘किसानों की मांग है कि तीन काले कानूनों को रद किया जाए। नरेंद्र मोदी, तोमर साहब और उनके बाकी सभी साथी यही कह रहे हैं कि इन तीन कानूनों से कोई नुकसान नहीं है और उसमें क्या कमियां है, वो बता दीजिए। हमने पहले भी खामियों के बारे में बताया है और आज भी हम चर्चा करने के लिए तैयार हैं।’
राहुल गांधी ने संसद के भीतर किया प्रदर्शन का नेतृत्व
कांग्रेस सांसदों ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ संसद परिसर में भी प्रदर्शन किया। पार्टी के पूर्व अध्यरक्ष और लोकसभा सांसद राहुल गांधी ने इस प्रदर्शन का नेतृत्वय किया। हालांकि राहुल ‘किसान संसद’ पर कुछ नहीं बोले। सदन स्थागित होने के बाद बाहर निकलते वक्त इस बाबत पत्रकारों के सवाल पर वह चुप्पीि साधे रहे।
नकवी बोले – किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर आंदोलन
उधर केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि यह तो किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर किया जा रहा आंदोलन है। उन्होंने कहा, ‘मुद्दों, तथ्यों और तर्कों को लेकर किसी भी आंदोलन का स्वागत है, लेकिन किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर किस मुद्दे पर कुछ लोग आंदोलन करना दिखा रहे हैं। सरकार ने कहा कि आप आइए, जो मुद्दे आपके पास हैं, उन पर बात करिए। लेकिन यहां तो मुद्दे हैं नहीं।’
जब कानून वापस नहीं लेने तो क्याक बात करें : हरसिमरत
नकवी के विपरीत किसान आंदोलन के ही समर्थन में एनडीए सरकार से नाता तोड़ चुके शिरोमणि अकाली दल की सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि यह सरकार किसान विरोधी है। उन्होंने कहा, ‘किसान पिछले आठ महीनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार कहती है कि किसान हमसे बात करें, लेकिन कानून वापस नहीं होंगे। जब आप ने कृषि कानून वापस नहीं लेने हैं तो किसान आपसे क्या बात करेंगे?’