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पेगासस विवाद पर बोले सिब्बल – श्वेत पत्र लाए केंद्र, सुप्रीम कोर्ट की निगरानी वाली जांच की भी मांग

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नई दिल्ली, 21 जुलाई। पेगासस जासूसी विवाद में सम्पूर्ण विपक्ष के हमलावर रुख के बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने इस प्रकरण की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच कराए जाने की मांग की है। साथ ही उन्होंने कहा है कि सरकार इस मामले में श्वेत पत्र लाए, जिसमें स्पष्ट उल्लेख हो कि उसने इजरायली जासूसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया है अथवा नहीं।

जासूसी के आरोपों को सिरे से खारिज कर चुकी है सरकार

गौरतलब है कि केंद्र ने पेगासस जासूसी को लेकर विपक्ष के सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि भारतीय लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा था कि मामले की निगरानी कराए जाने संबंधी आरोप वैश्विक मंच पर भारत को बदनाम करने के लिए हैं।

अमित शाह के बयान पर कांग्रेस नेता का पलटवार

सिब्बल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर पलटवार करते हुए कहा, ‘देश को बदनाम नहीं किया जा रहा, लेकिन आपकी सरकार के क्रियाकलापों की वजह से सरकार बदनाम हो रही है।’ शाह के ‘आप क्रोनोलॉजी समझिए’ वाले बयान का भी जिक्र करते हुए सिब्बल ने कहा, “हम क्रोनोलॉजी समझ रहे हैं। मैं अमित शाह जी से कहना चाहता हूं कि ‘आप इसकी क्रोनोलॉजी समझिए, यह वर्ष 2017-2019 के बीच हुआ है।”

स्वतंत्र जांच हो, सरकारी एजेंसियों पर भरोसा नहीं

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘यह (पेगासस मुद्दा) बेहद गंभीर मामला है। हम जैन हवाला मामले की ही तरह उच्चतम न्यायालय की निगरानी में निरंतर परमादेश वाली जांच चाहते हैं। मामले की स्वतंत्र जांच की जानी चाहिए क्योंकि हम इस सरकार की एजेंसियों पर भरोसा नहीं कर सकते।’

सिब्बल ने यह भी कहा कि कार्रवाई की रिकॉर्डिंग की जानी चाहिए ताकि सभी को सच्चाई का पता चल सके। यह पूछे जाने पर कि उनकी पार्टी एक संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की मांग कर रही है, उन्होंने कहा कि यह उच्चतम न्यायालय की निगरानी वाली जांच के अतिरिक्त हो सकती है। साथ ही उन्होंने कहा कि वह भारत के एक जिम्मेदार नागरिक के तौर पर बोल रहे हैं।

सरकार बताए कि पेगासस का इस्तेमाल किया या नहीं

पेशे से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सिब्बल ने कहा, ‘सरकार को संसद में एक श्वेत पत्र लाना चाहिए, जिसमें स्पष्ट तौर पर उल्लेख हो कि क्या उसने या उसकी एजेंसियों ने जासूसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया है या नहीं। सरकार को कहना चाहिए कि उसने कभी पेगासस का इस्तेमाल नहीं किया, लेकिन उसने यह नहीं कहा। एक बड़ी समस्या पैदा होती है कि अगर सरकार ने यह नहीं किया या उसकी एजेंसियों ने यह नहीं किया तो फिर ये किसने किया।’