श्रीनगर, 30 जून। जम्मू-कश्मीर में 149 वर्षों से चली आ रही ‘दरबार मूव’ की प्रथा आखिरकार समाप्त कर दी गई है। इसके तहत हर छह माह में श्रीनगर और जम्मू के बीच राज्य की राजधानी का स्थानांतरण होता रहा है। इसके साथ ही राज्य सरकार ने कर्मचारियों को दिए जाने वाले आवास आवंटन को भी रद कर दिया है। जारी आदेश के तहत अधिकारियों और कर्मचारियों को अगले तीन हफ्ते के अंदर अपने आवास खाली करने होंगे।
ई-ऑफिस तैयार होने से ‘दरबार मूव’ की जरूरत नहीं : उप राज्यपाल मनोज सिन्हा
उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने गत 20 जून को कहा था कि प्रशासन ने ई-ऑफिस का काम पूरा कर लिया है, इसलिए सरकारी कार्यालयों के वर्ष में दो बार होने वाले ‘दरबार मूव’ की प्रथा को जारी रखने की कोई जरूरत नहीं है। जम्मू और श्रीनगर में ‘दरबार मूव’ के तहत जिन अधिकारियों को आवास आवंटित किए गए हैं, उन्हें तीन हफ्ते के भीतर इन्हें खाली करने के लिए कहा गया है।
इस प्रथा के खात्मे से हर वर्ष बचेंगे 200 करोड़ रुपये
‘दरबार मूव’ की प्रथा खत्म करने के फैसले से राजकोष को हर वर्ष 200 करोड़ रुपये की बचत होगी। इस निर्णय के बाद सरकारी कार्यालय अब जम्मू और श्रीनगर दोनों जगहों पर सामान्य रूप से काम करेंगे। राजभवन, सिविल सचिवालय, सभी प्रमुख विभागाध्यक्षों के कार्यालय पहले दरबार मूव के तहत जम्मू और श्रीनगर के बीच सर्दी और गर्मी के मौसम में स्थानांतरित होते रहते थे।
दरअसल मौसम बदलने के साथ हर छह माह में जम्मू-कश्मीर की राजधानी भी बदल जाती है। राजधानी बदलने की यह परंपरा 1862 में डोगरा शासक गुलाब सिंह ने शुरू की थी। गुलाब सिंह महाराजा हरि सिंह के पूर्वज थे, जिनके समय ही जम्मू-कश्मीर भारत का अंग बना था। राजधानी शिफ्ट होने की इस प्रक्रिया को ‘दरबार मूव’ के नाम से जाना जाता है। ग्रीष्मकाल में छह माह तक राजधानी श्रीनगर में रहती है और सर्दियों में छह माह तक जम्मू से राजधनी का कार्य संचालित होता है। खैर, ‘दरबार मूव’ की प्रथा अब इतिहास का हिस्सा बन जाएगी।