नई दिल्ली, 20 जुलाई। देश के ज्यादातर हिस्सों में कोरोना के कम होते मामलों के बीच स्कूलों के खुलने की उम्मीदें बढ़ने लगी हैं। इस क्रम में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने राज्यों को सलाह दी है कि पहले प्राइमरी तक के स्कूल खोले जा सकते हैं और फिर सेकेंडरी स्कूल खोले जाने पर विचार किया जाना चाहिए। हालांकि यह फैसला जिला और राज्य स्तर पर लिया जाएगा और यह कई कारकों पर निर्भर करेगा।
छोटे बच्चे आसानी से हैंडल कर लेते हैं वायरस : डॉ. भार्गव
आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने मंगलवार को कहा कि छोटे बच्चे वायरस को आसानी से हैंडल कर लेते हैं। उनके लंग्स में वह रिसेप्टर कम होते हैं, जहां वायरस जाता है। सीरो सर्वे में देखा गया है कि छह से नौ वर्ष के बच्चों में लगभग उतनी ही एंटीबॉडी दिखी, जितनी बड़ों में है।
कई यूरोपीय देशों में प्राइमरी स्कूल बंद ही नहीं किए गए
डॉ. भार्गव ने कहा, ‘यूरोप के कई देशों में प्राइमरी स्कूल बंद ही नहीं किए गए थे। कोरोना की किसी भी लहर में स्कूल बंद नहीं किए गए थे। इसलिए हमारी राय यह है कि पहले प्राइमरी स्कूल खोले जा सकते हैं। इसके बाद सेकेंडरी स्कूल खोले जा सकते हैं।’
सुनिश्चित करना होगा स्कूलों के सभी स्टाफ का टीकाकरण
डॉ. भार्गव ने कहा कि स्कूलों को खोले जाने से पहले यह देखना जरूरी है कि अध्यापक से लेकर सभी सहयोगी स्टाफ पूरी तरह वैक्सिनेटेड हों। स्कूल से जुड़े सभी लोगों को वैक्सीन लगाना सुनिश्चत करना होगा। वहां टेस्ट पॉजिटिविटी रेट क्या है और पब्किल हेल्थ सिचुएशन क्या है, इसपर भी ध्यान देना होगा।