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सार्वभौमिक स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए सरकारी निजी भागीदारी जरूरी : डॉ भारती

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नई दिल्ली, 20 अक्टूबर। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ भारती प्रवीण पवार ने सार्वभौमिक स्वास्थ्य सुविधायें उपलब्ध कराने की सरकार की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए बुधवार को कहा कि कोरोना महामारी ने स्वास्थ्य सेवाओं की आपूर्ति और मांग के अंतर को उजागर किया है जिससे सरकारी निजी भागीदारी से पाटा जा सकता है। डॉ. पवार ने यहां भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) के सालाना स्वास्थ्य देखभाल उत्कृष्टता पुरस्कार समारोह को ऑनलाइन संबोधित करते हुए कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं की आपूर्ति एवं मांग में अंतर निजी क्षेत्र के लिए वास्तव में एक अवसर है जिसे भरने के लिए सरकारी-निजी क्षेत्र सहयोग जरूरी है।

उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र की अनेक समस्याओं का समाधान करने में निजी सरकारी भागीदारी सक्षम है और भारतीय कोविड अभियान से यह सिद्ध हो गया है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में सरकारी निजी भागीदारी से दीर्घकालीन समाधान तलाशा जा सकता है और प्रत्येक भारतीय नागरिक तक स्वास्थ्य देखभाल सेवायें पहुंचायी जा सकती हैं। कोविड टीके के निर्माण और टीकाकरण अभियान से सरकार निजी भागीदारी का एक नया युग शुरू हुआ है। इससे देश में स्वास्थ्य सेवाओं का एक मजबूत ढ़ांचा बनने की संभावना है।

डॉ. पवार ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं के व्यापक अंतर को पाटने का आह्वान करते हुए कहा कि सरकार सभी को आधुनिक निदान प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

उन्होंने कहा कि संचारी और गैर संचारी रोगों के नियंत्रण, बचाव और उन्मूलन के लिए सरकार अथक प्रयास कर रही है जिसके कारण कई योजनायें और कार्यक्रम राष्ट्रीय स्तर पर शुरू किये जा सके हैं। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य देखभाल के लिए देश में किफायती, बेहतर और आधुनिक सुविधाओं का बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि सरकार के प्रयासों से महिलाओं, बच्चों, शिशुओं और नवजातों के स्वास्थ्य में सुधार हुआ है।

आयुष्मान भारत योजना का उल्लेख करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस योजना को डिजिटल स्वास्थ्य अभियान से जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में सरकार ने स्वास्थ्य सुविधाओं का बुनियादी ढांचा मजबूत करने के लिए सरकारी निजी भागीदारी के तहत वित्त उपलब्ध कराया है। चिकित्सा शिक्षा में सुधार किये गये हैं और शिक्षण के बुनियादी ढांचे का विस्तार किया गया है।

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