नई दिल्ली, 26 जून। तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन के सात माह पूरे होने पर कांग्रेस ने शनिवार को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर जमकर प्रहार किया और आरोप लगाया कि देश के अन्नदाताओं के साथ अत्याचार किया जा रहा है और षड्यंत्र करके उन्हें बदनाम करने का प्रयास चल रहा है।
आंदोलनरत किसानों के साथ खड़ी है कांग्रेस
कांग्रेस महासचिव व पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह भी कहा कि कांग्रेस आंदोलनरत किसानों के साथ खड़ी है। सुरजेवाला ने एक बयान में कहा कि समूचे विश्व में आज तक किसी निर्दयी और निर्मम सत्ता का ऐसा अत्याचार देखने को नहीं मिला, जो मोदी सरकार धरती के भगवान कहे जाने वाले अन्नदाता किसानों के साथ लगातार सात माह से कर रही है।
सुरजेवाला ने कहा कि यह सरकार कभी उनपर लाठी बरसाती है, कभी उनकी राहों में कील और कांटे बिछाती है। किसानों को मोदी सरकार कभी आतंकी, कभी खालिस्तानी बताती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पूरी प्रतिबद्धता और दृढ़ता से देश के किसान भाइयों के साथ खड़ी है। किसानों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन का भी पार्टी पुरजोर समर्थन करती है।
इधर सम्मान निधि और उधर डीजल की कीमत में बढ़ोतरी
कांग्रेस नेता ने दावा किया कि एक तरफ सरकार कह रही है कि किसानों को छह हजार रुपये प्रतिवर्ष सम्मान निधि देकर वह किसानों की सहायता कर रही है, लेकिन दूसरी ओर मोदी सरकार ने गत सात वर्षों में डीजल की कीमत 55.49 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 88.65 रुपये कर दी है।
उच्चतम न्यायालय में सरकार ने झूठा शपथपत्र दिया
उन्होंने सवाल किया कि क्या उच्चतम न्यायालय में सरकार ने झूठा शपथपत्र नहीं दिया कि किसानों से चर्चा करके ये तीनों काले कानून लाए गए हैं, जबकि सूचना के अधिकार के तहत दिए जवाब में सरकार ने स्वीकारा कि कानून लाने से पहले किसानों से चर्चा के कोई प्रमाण मौजूद नहीं हैं?
सुरजेवाला ने यह भी पूछा कि क्या जब तीन काले कानून लागू किए गए, तब से ही सरकारी अनाज मंडिया लगातार बंद करना जारी नहीं है? क्या किसान को मंडियों से बाहर देश में कहीं भी अपनी फसल बेचने की आजादी नहीं? अगर यह सही है, तो फिर तीन खेती विरोधी काले कानूनों की क्या जरूरत है? कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि सरकार किसानों के खिलाफ षड्यंत्र कर उन्हें ‘थका दो और भगा दो, प्रताड़ित करो और परास्त करो, बदनाम करो और फूट डालो’ की नीति पर काम कर रही है।
गौरतलब है कि केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शनकारी किसान पिछले वर्ष 26 नवम्बर से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। वे इन तीनों कानूनों को रद करने और फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने के लिए एक नया कानून लाने की मांग कर रहे हैं। इन विवादास्पद कानूनों से उपजे गतिरोध को लेकर अब तक किसानों और सरकार के बीच हुई कई दौर की वार्ता बेनतीजा रही है।