आणंद (गुजरात), 31 अक्टूबर। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मामलों के मंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि वास्तविक आंदोलन किसी समस्या के समाधान के लिए होते हैं न कि समस्याओं को बढ़ाने के लिए।
अमित शाह ने अमूल सहकारी दुग्ध समिति के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि अमूल आंदोलन निजी डेयरी वालों के शोषण के खिलाफ किसानों के आंदोलन को एक रचनात्मक दिशा देने का आंदोलन था जो आज वट वृक्ष बन गया है। वर्ष 1946 में 200 लीटर दूध के संग्रह से शुरू अमूल सहकारी डेयरी आंदोलन की क्षमता आज हर रोज तीन करोड़ लीटर दूध के प्रसंस्करण और संग्रह तक पहुंच गयी है।
अमित शाह ने कहा, “ छोटे-छोटे लोगों की एकत्रित क्षमता के योग से बड़ी से बड़ी ताकत निर्मित हो सकती है। इसी को सहकारिता कहते हैं। ” केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज भारत में सहकारिता आंदोलन को देश की अर्थव्यवस्था का मजबूत स्तंभ बनाने का समय है। उन्होंने कहा कि सहकारिता आंदोलन भारत की अर्थव्यवस्था को पांच हजार अरब डालर की अर्थव्यवस्था बनाने और किसानों की आय बढ़ाने में बड़ा योगदान कर सकता है।
उन्होंने अमूल के 75 वर्ष के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अमूल ने विपणन, प्रबंधन और प्रसंस्करण में समय के साथ बदलाव किए और वैज्ञानिक सोच तथा नयी-नयी तकनीकों का प्रयोग किया जिसमें 1973 में इसे डॉ वर्गीज कुरियन द्वारा गुजरात सहकारी दुग्घ विपणन महासंघ (जीसीएमएमएफ) नाम की कंपनी के रूप में गठित करने का पड़ाव भी शामिल है।