मुंबई, 10 नवम्बर। महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता नवाब मलिक ने नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े के पिता ध्यानदेव वानखेड़े की ओर से दायर मानहानि के मुकदमे में उनके (श्री मलिक के) खिलाफ लगाये गये आरोपों का विरोध किया है। नवाब मलिक ने न्यायमूर्ति माधव जे जामदार की एकल अवकाशकालीन पीठ के सोमवार के निर्देश के अनुसार जवाबी हलफनामा दायर किया।
नवाब मलिक ने अपने जवाब में कहा, “ध्यानदेव वानखेड़े यह साबित करने में विफल रहे हैं कि मेरा बयान कैसे मानहानिकारक, बदनाम करने वाला या अपमानजनक था।” उन्होंने आरोप लगाया कि मानहानि का मुकदमा और कुछ नहीं बल्कि उनके बेटे के अवैध कार्यों को कवर करने का प्रयास है।
बॉम्बे हाईकोर्ट में ध्यानदेव वानखेड़े द्वारा दायर मुकदमे में श्री मलिक से 1.25 करोड़ रुपये के हर्जाने की मांग की गयी है।
राकांपा नेता ने कहा कि याचिका में दम नहीं है क्योंकि वादी अदालत की अनुमति के बिना अपने परिवार के सदस्यों की ओर से प्रतिनिधि मुकदमा दायर नहीं कर सकता है। नवाब मलिक ने अक्टूबर में कथित तौर पर समीर वानखेड़े का एक जन्म प्रमाण पत्र साझा किया था, जिसमें उनके पिता की दाऊद वानखेड़े का नाम अंकित था। राकांपा नेता ने कहा था कि इस जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर उन्हें आरक्षण का अधिकार नहीं था।
समीर वानखेड़े ने तब एक बयान जारी कर स्पष्ट किया कि उनके पिता हिंदू हैं जबकि उनकी मां मुस्लिम थीं। याचिका में दावा किया गया है कि श्री मलिक ने दामाद समीर खान को जनवरी में एनसीबी द्वारा प्रतिबंधित पदार्थों के व्यापार के आरोप में गिरफ्तार किये जाने की पृष्ठभूमि में श्री वानखेड़े के खिलाफ आरोप लगाने शुरू किये हैं।