लखनऊ, 22 नवम्बर। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से कृषि कानून वापस लेने की घोषणा के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं द्वारा इन कानूनों को चुनाव बाद फिर से बहाल किये जाने जैसी बयानबाजी को रुकवाने का अनुरोध किया है। मायावती ने सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी से किसानों की अन्य जायज मांगों को स्वीकार करने की मांग करते हुये कहा, पीएम श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लगभग एक वर्ष से आन्दोलित किसानों की तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की माँग स्वीकारने के साथ-साथ उनकी कुछ अन्य जायज माँगों का भी सामयिक समाधान जरूरी है। ताकि वे संतुष्ट होकर अपने-अपने घरों में वापस लौट कर अपने कार्यों में पूरी तरह फिर से जुट सकें।
मायावती ने अपने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, ”साथ ही, कृषि कानूनों की वापसी की केन्द्र सरकार की खास घोषणा के प्रति किसानों में विश्वास पैदा करने के लिए जरूरी है कि भाजपा के नेताओं की बयानबाजी पर लगाम लगे जो प्रधानमंत्री की घोषणा के बावजूद अपने भड़काऊ बयानों आदि से लोगों में संदेह पैदा करके माहौल को खराब कर रहे हैं।” उन्नाव से भारतीय जनता पार्टी के सांसद साक्षी महाराज ने शुक्रवार को पत्रकारों से कहा था, ”विधेयक तो बनते-बिगड़ते रहते हैं, फिर वापस आ जाएंगे, दोबारा बन जाएंगे, कोई देर नहीं लगती।” उन्होंने कहा, ”मैं मोदी जी को धन्यवाद दूंगा कि उन्होंने बड़ा दिल दिखाया और विधेयक के बजाय राष्ट्र को चुना। जिनके इरादे गलत थे, जिन्होंने ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ और ‘खालिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाए, उन्हें करारा जवाब मिला है।”
ऐसे बयानों को आधार बनाकर रविवार को समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने भी सत्तारूढ़ भाजपा की मंशा पर सवाल उठाए थे। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने रविवार को कहा कि भाजपा का दिल साफ नहीं है और वह उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों के बाद इस संबंध में फिर से विधेयक लाएगी। कांग्रेस ने भी भाजपा नेताओं के बयान का हवाला देकर कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान को छलावा करार दिया। ज्ञात हो कि आंदोलनरत किसान संगठनों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) कानून बनाने और आंदोलन के दौरान मारे गये किसानों को शहीद का दर्जा देकर उनके परिजनों को मुआवजा देने की मांग की है।