झांसी, 31 अक्टूबर। देश के कई राज्यों में उभरे खाद संकट के कारण किसानों के सामने आयी विकट समस्या के लिए कृषक भारती कॉपरेटिव लिमिटेड (कृभको) के अध्यक्ष डॉ. चंद्रपालसिंह यादव ने अंतरराष्ट्रीय बाजार मे फास्फेट आधारित उर्वरकों की कीमतों में आये जबरदस्त उछाल को जिम्मेदार बताया है। खाद की कमी से किसानों के सामने पैदा हुये अप्रत्याशित संकट के मुख्य कारणों पर कृभको चेयरमैन ने बताया कि इसके पीछे दो बड़ी वजहें हैं।
पहली, अंतरराष्ट्रीय बाजार में फास्फेट आधारित उवर्रकों की कीमतों मे अप्रत्याशित उछाल आना और दूसरा, इस वजह से खाद न मिलने को लेकर में फैली अफवाहों के कारण किसानों ने इस बार जरूरत से अधिक खाद खरीदना शुरु कर दिया। डॉ. यादव ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में फास्फेट आधारित उर्वरक की कीमत रिकार्ड स्तर पर पहुंच कर 45 किग्रा के एक बैग की कीमत लगभग 800 डॉलर हो गयी है।
उन्होंने कहा कि भारत इन उर्वरकों के लिए पूरी तरह से आयात पर निभर्र है। पहले देश में इस पर निश्चित सब्सिडी दी जाती थी और इसका अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) नहीं होता थी। मगर अब सरकार ने इसकी एमआरपी 1200 रुपये निर्धारित कर दी और आयातक को 1200 रुपये सब्सिडी दी। इस तरह आयातक को 2400 रुपये एक बैग की कीमत मिल जाती है।
उन्होंने दलील दी कि हकीकत यह है कि आयातक को बढ़ी हुयी अंतरराष्ट्रीय कीमत के अतिरिक्त अन्य कर एवं शुल्क के भुगतान के बाद खाद का एक बैग 3200 रुपये में पड़ता है। इस तरह आयातक को 800 रूपये प्रति बोरी का नुकसान हो रहा है। डा़ यादव ने कहा कि यह नुकसान बड़े पैमाने पर होने वाले आयात के कारण आयातकों के लिए बहुत बड़ा बोझ बन गया है।
उन्होंने कहा, ‘एक और मजबूरी यह भी है कि फास्फेट आधारित उर्वरकों का कच्चा माल हो या फिनिश्ड अर्थात निर्मित माल हो, हम पूरी तरह से आयात पर ही निर्भर हैं। आज जो स्थिति पैदा हुई है उसमें सरकार या कोई अन्य, कुछ भी नहीं कर सकता है।’