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केंद्रीय सतर्कता आयोग विधेयक भारी विरोध के बीच लोकसभा में पेश

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नई दिल्ली, 3 दिसम्बर। सरकार ने विपक्षी दलों के भारी हंगामें बीच केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) तथा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशकों के कार्यकाल को पांच साल तक बढाने वाले ‘केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) विधेयक 2021) को आज लोकसभा में पेश किया। अध्यक्ष ओम बिरला ने जैसे ही प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह को सदन में विधेयक पेश करने को कहा तो कांग्रेस तथा तृणमूल कांग्रेस सहित विपक्ष के कई दलों के सदस्यों ने इसका जमकर विरोध किया और कहा कि सरकार इस विधेयक के जरिए सीबीआई तथा ईडी पर शिकंजा कसके एजेंसी को नियंत्रण में रखने की कोशिश कर रही है।

कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी, के सुरेश तथा शशि थरूर ने इस विधेयक का जोरदार विरोध करते हुए कहा कि सरकार बिना चर्चा के इस संबंध में संसद सत्र शुरु होने के महज कुछ दिन पहले अध्यादेश लेकर आई और उसने सबसे पहले यही गलत काम कर संसदीय नियमों का उल्लंघन किया। सरकार ने निदेशकों के कार्यकाल को दो से पांच साल तक हर वर्ष एक-एक साल का विस्तार देने का प्रावधान कर इन दोनों एजेंसियों के निदेशकों को अपने कब्जे में रखने की पुख्ता व्यवस्था की है।

कांग्रेस सदस्यों ने कहा कि इसके जरिए एजेंसी में भ्रम की स्थिति पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है और यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि यदि सरकार के इशारे पर निदेशक काम करते रहे तो उनका कार्यकाल बढ़ाया जाएगा और सरकार के विरुद्ध काम किया तो उन्हें हटाया जाएगा। इस विधेयक के जरिए सरकार दोनों एजेंसियों के शीर्ष अधिकारियों पर नियंत्रण बनाए रखना चाहती है। उन्होंने कहा कि एजेंसियां पारदर्शी तरीके से काम करती रहें इसके लिए उन पर नियंत्रण की कोशिश नहीं होनी चाहिए।

तृणमूल कांग्रेस के एस वंद्योपाध्याय तथा सौगत राय ने भी इस विधेयक का विरोध किया। तृणमूल के सदस्यों ने कहा कि जिस तरह से सरकार यह विधेयक लेकर आई है उससे उसकी मंशा साफ हो जाती है और अब तय है कि एजेंसियों का जमकर दुरुपयोग होगा और उसके काम में सरकार का पूरा हस्तक्षेप रहेगा। दोनों एजेंसियों के शीर्ष अधिकारी कार्यकाल बढाने के लिए सरकार के इशारे पर नाचेंगे।

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