वॉशिंगटन, 27 सितंबर। पृथ्वी को एस्टेरॉयड के प्रभाव से बचाने की कवायद में नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन यानी NASA को बड़ी सफलता मिली है। स्पेस एजेंसी के DART मिशन सफलतापूर्वक पूरा हो गया है। जॉन्स हॉपकिन्स एप्लायड फिजिक्स लेबोरेटरी स्थित मिशन कंट्रोल ने सफल होने की घोषणा की। इसके साथ ही एजेंसी ने अंतरिक्ष में एस्टेरॉयड को अपनी जगह से हटाने में कामयाबी हासिल कर ली है।
सोमवार को जांच को सुरक्षा तकनीक का पता लगाने के लिए डबल एस्टेरॉयड रीडायरेक्शन टेस्ट (DART) को एस्टेरॉयड डिडिमोस के डायमोरपोस से टकराया। दरअसल, 24 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हुई इस टक्कर के जरिए इसके ऑर्बिट यानी घूमने की दिशा में बदलाव करना था। खास बात है इस मिशन को अंजाम देने से पहले स्पेसक्राफ्ट करीब 10 महीने स्पेस में रहा।
इस मिशन में टकराव का असर देखने के लिए जेम्स वेब स्पेस और हबल समेत कई टेलीस्कोप और कैमरा स्पेसक्रॉफ्ट को ट्रैक कर रहे थे। NASA के अनुसार, प्लेनेटरी डिफेंस स्ट्रेटेजी के हिस्से के रूप में एस्टेरॉयड डायमोरफोस के साथ DART का प्रभाव पृथ्वी की ओर आ रहे एस्टेरॉयड से गृह को सुरक्षित करने की तकनीक को दिखाता है।
- एस्टेरॉयड को समझें
NASA ने जानकारी दी है कि DART ने एस्टेरॉयड के मूनलेट डायमोरफोस को निशाना बनाया। इसका डायमीटर 530 फीट का है। यह डिडिमोस कहे जाने वाले विशाल 2560 फीट के एस्टेरॉयड की परिक्रमा करता है। खास बात है कि इन दोनों से ही पृथ्वी को कोई खतरा नहीं था। इस मिशन में स्पेस एजेंसी की वन वे ट्रिप ने इस बात की पुष्टि की है कि एस्टेरॉयड का रास्ता बदलने के लिए उससे स्पेसक्राफ्ट को टकराया जा सकता है। इस तकनीक को कायनेटिक इम्पैक्ट कहा जाता है।