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वक्फ संशोधन विधेयक 2025 : धारणाएं और सच्‍चाइयां

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नई दिल्ली, 5 अप्रैल। केंद्र सरकार की ओर से पेश किए गए वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को संसद के दोनों सदनों (लोकसभा व राज्यसभा) से स्वीकृति मिल चुकी है। अब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की मंजूरी मिलते ही यह कानून का रूप धारण कर लेगा। भाजपा नीत एनडीए सरकार इस विधेयक की खूबियां गिना रही है तो विपक्षी दल इसे भविष्य के लिए खतरा बता रहे हैं। आम जनमानस में भी इसे लेकर तमाम भ्रांतियां और धारणाएं फैली हुई हैं। अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की ओर से वक्फ विधेयक को लेकर जारी की गईं कुछ धारणाएं और उनकी सच्चाई इस प्रकार हैं –

धारणा 1 : क्या वक्फ संपत्तियां वापस ले ली जाएंगी?

सच्‍चाई : वक्फ कानून, 1995 के लागू होने से पहले वक्फ कानून, 1995 के तहत पंजीकृत कोई भी संपत्ति वक्फ के रूप में वापस नहीं ली जाएगी।

स्पष्टीकरण

धारणा 2 : क्या वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण नहीं होगा?

सच्‍चाई : एक सर्वेक्षण होगा।

स्पष्टीकरण

धारणा 3 : क्या वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम बहुसंख्यक हो जाएंगे?

सच्‍चाई : नहीं, बोर्ड में गैर-मुस्लिम शामिल होंगे, लेकिन वे बहुमत में नहीं होंगे।

स्पष्टीकरण

धारणा 4 : क्या नए संशोधन के तहत मुसलमानों की निजी भूमि अधिग्रहित की जाएगी?

सच्‍चाई : कोई निजी भूमि अधिग्रहित नहीं की जाएगी।

स्पष्टीकरण

धारणा 5 : क्या सरकार इस विधेयक का उपयोग वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करने के लिए करेगी?

सच्‍चाई : विधेयक जिला कलेक्टर के पद से ऊपर के एक अधिकारी को यह समीक्षा करने और सत्यापित करने का अधिकार देता है कि क्या सरकारी संपत्ति को गलत तरीके से वक्फ के रूप में वर्गीकृत किया गया है (खासकर अगर यह वास्तव में सरकारी संपत्ति हो सकती है), लेकिन यह वैध रूप से घोषित वक्फ संपत्तियों को जब्त करने को अधिकृत नहीं करता है।

धारणा 6 : क्या यह विधेयक गैर-मुसलमानों को मुस्लिम समुदाय की संपत्ति पर नियंत्रण या प्रबंधन की अनुमति देता है?

सच्‍चाई : संशोधन में प्रावधान किया गया है कि केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य बोर्ड में दो सदस्य गैर-मुस्लिम होंगे, पदेन सदस्यों को छोड़कर, परिषद में अधिकतम 4 गैर-मुस्लिम सदस्य और वक्फ बोर्ड में अधिकतम 3 गैर-मुस्लिम सदस्य हो सकते हैं। इन सदस्यों को अतिरिक्त विशेषज्ञता और निगरानी के लिए जोड़ा जाता है। अधिकतर सदस्य मुस्लिम समुदाय से होते हैं, जिससे धार्मिक मामलों पर समुदाय का नियंत्रण बना रहता है।

धारणा 7 : क्या ऐतिहासिक वक्फ स्थलों (जैसे मस्जिद, दरगाह और कब्रिस्तान) की पारंपरिक स्थिति प्रभावित होगी?

सच्‍चाई : यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के धार्मिक या ऐतिहासिक चरित्र में हस्तक्षेप नहीं करता है। इसका उद्देश्य इन स्थलों की पवित्र प्रकृति में बदलाव करना नहीं बल्कि प्रशासनिक पारदर्शिता बढ़ाना और धोखाधड़ी वाले दावों पर अंकुश लगाना है।

धारणा 8 : क्या ‘उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ’ प्रावधान को हटाने का मतलब यह है कि लंबे समय से स्थापित परंपराएं खत्‍म हो जाएंगी?

सच्‍चाई : इस प्रावधान को हटाने का उद्देश्य संपत्ति पर अनधिकृत या गलत दावों को रोकना है। हालांकि, उपयोगकर्ता संपत्तियों (जैसे मस्जिद, दरगाह और कब्रिस्तान) द्वारा ऐसे वक्फ को सुरक्षा प्रदान की गई है, जो वक्फ संपत्ति के रूप में बनी रहेंगी, सिवाय इसके कि संपत्ति पूरी तरह या आंशिक रूप से विवाद में है या सरकारी संपत्ति है। यह पंजीकरण प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करता है, यह सुनिश्चित करके कि केवल औपचारिक रूप से वक्फ घोषित संपत्तियों को ही मान्यता दी जाती है – जिससे पारंपरिक वक्फ घोषणाओं का सम्मान करते हुए विवाद कम होते हैं।

“उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ” से तात्पर्य ऐसी स्थिति से है, जहां किसी संपत्ति को सिर्फ इसलिए वक्फ माना जाता है क्योंकि उसका उपयोग लंबे समय से धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए किया जाता रहा है – भले ही मालिक द्वारा कोई औपचारिक, कानूनी घोषणा न की गई हो।

धारणा 9 : क्या इस विधेयक का उद्देश्य समुदाय के अपने धार्मिक मामलों का प्रबंधन करने के अधिकार में हस्तक्षेप करना है?

सच्‍चाई : विधेयक का प्राथमिक लक्ष्य रिकॉर्ड रखने में सुधार करना, कुप्रबंधन को कम करना और जवाबदेही सुनिश्चित करना है। यह मुस्लिम समुदाय के अपनी धार्मिक संस्‍थाओं को दिए गए दान का प्रबंध करने के अधिकार को नहीं छीनता है, बल्कि, यह इन संपत्तियों को पारदर्शी और कुशलता से प्रबंधित करने की एक रूपरेखा पेश करता है।

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