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म्यांमार की सैनिक सरकार ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की तीसरी समिति का प्रस्ताव अस्वीकार किया

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नाएपिडा, 21 नवंबर। म्‍यांमार की सैनिक सरकार ने संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा की तीसरी समिति द्वारा गत 17 नवंबर को सर्वसम्‍मति से पारित प्रस्‍ताव को नामंजूर कर दिया है। म्‍यांमार के विदेश मंत्रालय के अनुसार सैनिक सरकार ने इसे राजनीति से प्रेरित बताते हुए कहा कि यह प्रस्‍ताव अविश्‍वसनीय सूत्रों और जानकारी के आधार पर लाया गया था।

मंत्रालय ने कहा कि इस प्रस्‍ताव में म्‍यांमार के लोगों के लिए स्थिरता और कानून तथा व्‍यवस्‍था कायम करने की दिशा में सरकार के प्रयासों पर ध्‍यान नहीं दिया गया। साथ ही इसमें सीआरपीएच, एनयूजी और पीडीएफ जैसे आतंकी गुटों की अंधाधुंध हिंसा का संज्ञान नहीं लिया गया।

म्‍यांमार के रखाइन प्रांत में वर्ष 2017 में संकट बढ़ाने के लिए अराकान रोहिंज्‍या सोलिडे‍रिटी आर्मी (एआरएसए) को दोषी बताते हुए वक्‍तव्‍य में यह भी कहा गया कि संयुक्‍त राष्‍ट्र के पहले के प्रस्‍तावों में भी जमीनी हकीकत, इस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति और मुद्दे के मूल कारण की अनदेखी की गई थी। यह भी कहा गया कि अनेक विस्‍थापित लोग म्‍यांमार वापस नहीं लौट पा रहे क्‍योंकि बांग्‍लादेश के इलाके वाले शिविरों में उग्रवादी बेहद सक्रिय हैं।

असल विस्‍थापित लोगों को वापस लेने और उन्‍हें नागरिक मानने की भी इच्‍छा जताई

इस बीच म्‍यांमार ने असल विस्‍थापित लोगों को वापस लेने और उन्‍हें नागरिक मानने की इच्‍छा जताई है। संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा में पारित प्रस्‍ताव में म्‍यांमार में संयुक्‍त राष्‍ट्र मानवाधिकार प्रतिनिधियों के जाने पर लगे प्रतिबंध हटाने की बात भी कही गई है।

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