वाराणसी, 4 सितम्बर। वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मस्जिद में जारी एएसआई सर्वे के बीच मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने सोमवार को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में आपत्ति दाखिल की और एएसआई पर आरोप लगाया कि सर्वे के लिए बिना अनुमति ज्ञानवापी परिसर के तहखाने व अन्य स्थानों पर खुदाई कर रहा है।
अंजुमन कमेटी ने ढांचा गिरने की भी जताई आशंका
आपत्ति में अंजुमन ने यह भी कहा है कि परिसर का मलबा ढांचे के पश्चिमी दीवार पर इकट्ठा किया जा रहा है। इससे ढांचे के गिरने का खतरा पैदा हो गया है। अंजुमन ने यह आपत्ति एएसआई के आठ हफ्ते का समय और बढ़ाने संबंधी प्रार्थना पत्र पर की है। आपत्ति में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में एएसआई ने अपने शपथ पत्र में कहा है कि सिर्फ वैज्ञानिक तरीके से सर्वे करेंगे।
एएसआई को दो सितम्बर को सर्वे रिपोर्ट दाखिल करने का समय दिया गया था। एएसआई ने अपने प्रार्थना पत्र में मलबा व कचरा वगैरह को हटाकर सर्वे की बात स्वीकार की है जबकि सिर्फ वैज्ञानिक पद्धति व जीपीआर विधि से सर्वे के लिए आदेशित किया गया है।
एएसआई किसी मलबा या कचरे की सफाई के पश्चात सर्वे करने के लिए अधिकृत नहीं है। एएसआई का यह कहना कि सावधानीपूर्वक कचरा व मलबा हटाकर सर्वे करने में समय लगेगा, यह साबित होता है कि जान बूझकर सिर्फ समय मांगा जा रहा है। यह कोर्ट के आदेश के खिलाफ है। रिपोर्ट दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा जाना न्यायोचित नहीं है। इसलिए एएसआई को अब समय नहीं दिया जाए।
सर्वे की मियाद 8 सप्ताह बढ़ाने पर सुनवाई 8 सितम्बर को
ज्ञानवापी परिसर में वैज्ञानिक सर्वे की मियाद आठ हफ्ते और बढ़ाने के लिए सोमवार को एएसआई की ओर से जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया। इस पर अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने लिखित आपत्ति दर्ज कराई है। अदालत ने अगली सुनवाई के लिए आठ सितम्बर की तिथि तय की है।
जिला जज के आदेश पर विगत चार अगस्त से वुजूखाना को छोड़कर ज्ञानवापी परिसर में एएसआई का वैज्ञानिक सर्वेक्षण चल रहा है। अदालत में दो सितम्बर को सर्वे रिपोर्ट सौंपी जानी थी। गत शनिवार को जिला जज के अवकाश पर होने पर प्रभारी जिला जज/एडीजे प्रथम की अदालत में सुनवाई हुई। उसमें एएसआई ने अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव के जरिए बताया कि 21 जुलाई को जिला जज की अदालत ने चार अगस्त तक वैज्ञानिक सर्वे की रिपोर्ट देने का आदेश दिया था।
एएसआई ने 24 जुलाई को सर्वे शुरू कर दिया, लेकिन पांच घंटे तक सर्वेक्षण के दौरान प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने 26 जुलाई तक सर्वेक्षण पर रोक लगा दी। मामला उच्चतम न्यायालय से इलाहाबाद उच्च न्यायालय और फिर दोबारा सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। तीन अगस्त को सुप्रीम से राहत नहीं मिली। चूंकि चार अगस्त को जिला जज की अदालत में सर्वेक्षण रिपोर्ट देनी थी। इसलिए एएसआई ने उसी दिन कोर्ट से चार सप्ताह का और समय मांगा। अदालत ने दो सितम्बर तक सर्वे की मोहलत दी थी।
इस दिन सुनवाई पर एएसआई की ओर से जिला जज की अदालत में प्रार्थना पत्र देकर चार हफ्ते और समय की मांग की गई। प्रभारी जिला जज व एडीजे प्रथम संजीव सिन्हा ने एएसआई को जिला जज के समक्ष प्रार्थनापत्र पेश करने का आदेश दिया था। सोमवार को एएसआई ने दोबारा जिला जज के समक्ष प्रार्थना पत्र पेश किया। लेकिन कार्य बहिष्कार के कारण अदालत ने प्रार्थना पत्र पर सुनवाई तिथि आठ सितम्बर नियत की।
पूजा पाठ की अर्जी पर सुनवाई अब 11 को
ज्ञानवापी परिसर से जुड़े तीन अन्य मामलों में सुनवाई सोमवार को अधिवक्ताओं के हड़ताल के कारण टल गई। सिविल जज सीनियर डिवीजन/फास्ट ट्रैक कोर्ट की अदालत में ज्ञानवापी परिसर में सावन का अधिमास का हवाला देकर पूजा-पाठ की अनुमति मांगने की अर्जी पर सुनवाई अब 11 सितम्बर को होगी।
गैर हिन्दुओं के प्रवेश पर रोक का मामला आज सुना जाएगा
सिविल जज सीनियर डिविजन/एफटीसी की अदालत में मंगलवार को ज्ञानवापी सबंधित एक अन्य मामले में सुनवाई होनी है। विष्णु गुप्ता आदि ने कोर्ट में वाद दाखिल कर गैर हिन्दुओं के प्रवेश को वर्जित, सर्वे के दौरान मिली शिवलिंग की आकृति के राग-भोग, पूजा-दर्शन व अन्य धार्मिक आयोजन की अनुमति देने की मांग की गई है।