माले, 21 अप्रैल। मालदीव की संसद मजलिस के लिए हुए चुनाव में चीनी समर्थक राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की पार्टी पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (PNC) ने स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया है।
सत्तारूढ़ दल पीएनसी ने 93 में से 90 सीटों पर चुनाव लड़ा था और ताजा जानकारी के अनुसार उसने 66 सीटों पर बढ़त बना ली है। वहीं भारत समर्थक मुख्य विपक्षी पार्टी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP) सिर्फ 12 सीटों पर आगे है। आठ सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार आगे हैं जबकि मालदीव डेवलपमेंट अलायंस दो सीटों पर बढ़त बनाए हुए है।
राष्ट्रपति मुइज्जू के लिए अहम है यह चुनाव
उल्लेखनीय है कि मुइज्जू पिछले साल सितम्बर में मोहम्मद सोलिह को हराकर राष्ट्रपति बने थे। संसद में अभी सोलिह की पार्टी मालदिवियन डेमोक्रेटिक पार्टी का बहुमत था। इससे मुइज्जू के लिए नए विधेयकों को पारित करना कठिन हो रहा था। ऐसे में नए कानून बनाने के लिए मौजूदा राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की पार्टी के लिए संसदीय चुनाव जीतना जरूरी था।
संसद की 93 सीटों के लिए छह राजनीतिक दलों और स्वतंत्र समूहों ने कुल 368 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था। जनसंख्या बढ़ने के बाद पिछली संसद की तुलना में छह सीटें ज्यादा हैं। लगभग 2,84,000 लोगों ने चुनाव में वोट डाला।
मालदीव का राष्ट्रपति चुनाव कितना अलग?
मालदीव में राष्ट्रपति को जनता सीधे तौर पर पांच वर्षों के कार्यकाल के लिए चुनती है। 2023 के राष्ट्रपति चुनावों में मुइज्जू अपने प्रतिद्वंद्वी मोहम्मद सोलिह को हराकर विजयी हुए थे। वहीं संसद के, जिसे मजलिस कहते हैं, लिए अलग वोटिंग होती हैं। इसके सभी सदस्य पांच वर्ष के लिए चुने जाते हैं।
हालांकि वोटिंग का असर मुइज्जू के राष्ट्रपति पद पर नहीं पड़ेगा, लेकिन जीत उनके लिए अहम होगी। चुनाव से कुछ ही दिन पहले ही 2018 की कथित भ्रष्टाचार की रिपोर्ट लीक होने के बाद विपक्ष ने राष्ट्रपति की जांच और महाभियोग की मांग की है। इसके अलावा जब से मुइज्जू ने पदभार संभाला है, सांसदों ने उनके नामितों तीन नेताओं को कैबिनेट में शामिल करने पर रोक लगा दी है। मुइज्जू की पार्टी कह रही है कि वोटर्स ऐसा बहुमत चुनें, जो उनके राष्ट्रपति अभियान के वादों को तेजी से पूरा करेगा। विपक्षी दल, विदेश नीति और अर्थव्यवस्था सहित क्षेत्रों पर मुइज्जू सरकार की आलोचना कर रहे हैं। वे बहुमत की मांग कर रहे हैं, जो उनकी सरकार को जवाबदेह ठहरा सके।