शिमला, 11 दिसम्बर। हिमाचल प्रदेश के नए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का जीवन संघर्षों से भरा रहा है। स्कूली पढ़ाई खत्म करने के बाद सुखविंदर सिंह सुक्खू ने जब छात्र राजनीति में कदम रखा, तो उनकी मां यह नहीं चाहती थीं कि सुक्खू राजनीति में जाएं। वह चाहती थीं कि सुखविंदर सिंह सुक्खू किसी सरकारी सेवा में जाएं, ताकि घर-परिवार का गुजर-बसर हो सके।
उनके पिता रशिल सिंह एचआरटीसी में ड्राइवर हुआ करते थे। इससे पहले सुक्खू के पिता ने घर-परिवार के गुजर-बसर के लिए टैक्सी और ट्रक भी चलाया है। एचआरटीसी में ड्राइवर रहते हुए सुखविंदर सिंह सुक्खू के पिता को मात्र 90 रुपये की तनख्वाह मिलती थी, जिसमें छह लोगों का गुजारा करना होता था।
सरकारी नौकरी नहीं करना चाहते थे सुक्खू
सुखविंदर सिंह सुक्खू की मां संसार देई याद करती हैं कि सुक्खू ने जब छात्र राजनीति में कदम रखा, तो वे इसे लेकर सहज नहीं थीं। वह चाहती थीं कि सुखविंदर सिंह सुक्खू कोई छोटी-मोटी सरकारी नौकरी कर लें, ताकि उनका भविष्य सुरक्षित हो जाए।
हर मां की तरह सुक्खू की मां की चिंता भी अपने बेटे के लिए स्वभाविक थी, लेकिन सुखविंदर सिंह सुक्खू ने यह ठान लिया था कि वो राजनीति में ही अपना भविष्य बनाएंगे। सुखविंदर सिंह सुक्खू छात्र राजनीति के बाद पहले पार्षद, फिर विधायक और अब हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर पहुंच चुके हैं। सुक्खू की इस सफलता पर उनकी मां का खुशी का ठिकाना नहीं है। क्योंकि वे जिस सरकारी नौकरी में अपने बेटे को देखना चाहती थीं, आज उसी सरकार में उनका बेटा शीर्ष पर जा पहुंचा है।
मां बोलीं- सुक्खू ने लोगों के हित के लिए काम किया
संघर्षशील जीवन से आगे बढ़कर सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने वाले सुखविंदर सिंह सुक्खू की मां को विश्वास है कि सुक्खू लोगों की भलाई के लिए काम करेंगे। उनकी मां संसार देई बताती हैं कि विधायक के तौर पर भी सुक्खू लगातार जनता के साथ जुड़े रहे और लोगों के हित के लिए काम किया। अब जब उनके पास पूरे प्रदेश की कमान है, तो वह इस काम को और बखूबी से कर सकेंगे।