नई दिल्ली, 28 अक्टूबर। फिजी के नाडी में अगले विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन 15-17 फरवरी 2023 के बीच होगा। विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने गुरुवार को यह जानकारी दी। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस अवसर पर 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन के शुभंकर और वेबसाइट का लोकार्पण किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में शामिल कराने की दिशा में प्रयास जारी है। इसमें कुछ प्रगति हुई है, लेकिन इसमें अभी समय लगेगा।
जयशंकर ने यहां सुषमा स्वराज भवन में गुरुवार को आयोजित एक कार्यक्रम में यह बात कही। इस मौके पर विश्व हिंदी सम्मेलन का लोगों जारी किया गया, जिसके लिए एक प्रतियोगिता आयोजित की गई थी। साथ ही सम्मेलन में पंजीकरण तथा अन्य जानकारियों के लिए एक वेबसाइट लांच की गई। इस मौके पर संवाददाताओं द्वारा पूछे गए प्रश्न के जवाब में विदेश मंत्री ने कहा कि हिंदी का प्रयोग यूनेस्को में हो रहा है।
जहां तक संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में हिंदी के उपयोग की बात है, तो इस बारे में संयुक्त राष्ट्र के साथ हमारा एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) किया गया है। इसके तहत अभी सोशल मीडिया तथा न्यूजलेटर में हिंदी का प्रयोग किया जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र में हिंदी को शामिल करने के संदर्भ में उन्होंने कहा कि इसे बढ़ाने में अभी थोड़ा समय लगेगा। संयुक्त राष्ट्र की प्रक्रिया में एक नई भाषा को शामिल करना इतना आसान भी नहीं है। लेकिन, इस दिशा में लगातार प्रगति हो रही है। हम आशा करते हैं कि यह होगा।
डिजिटल माध्यम से दूसरे देशों में हिंदी को बढ़ावा देने के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हमारा अनुभव डिजिटल माध्यम के उपयोग को लेकर है, खासकर अफ्रीका में अच्छा अनुभव है। यह शिक्षा, चिकित्सा के क्षेत्र में डिजिटल माध्यम के उपयोग से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि सलाहकार समिति की बैठक में इस विषय पर चर्चा हुई है। हमारी इच्छा है कि हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग करें। इस मौके पर फिजी दूतावास के अधिकारी भी मौजूद थे।
विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने इस मौके पर कहा कि भारत सरकार फिजी में एक भाषा प्रयोगशाला की स्थापना भी करेगी, जिससे वहां के लोगों को हिंदी सीखने में मदद मिलेगी। फिजी में तीन भाषाओं को सरकारी स्तर पर मान्यता है, जिनमें से एक हिंदी भी है। संयुक्त राष्ट्र (2020) के अनुसार, फिजी की जनसंख्या करीब 8,96,000 है और उनमें से 30 प्रतिशत से अधिक लोग भारतीय मूल के हैं।