नई दिल्ली, 8 अगस्त। केंद्र सरकार ने विपक्षी दलों के जबर्दस्त विरोध को देखते हुए आज ही दिन में लोकसभा में पेश वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक अब संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजने का फैसला किया है। वहीं सरकार ने राज्यसभा से वक्फ संशोधन विधेयक, 2014 को वापस ले लिया है। देखा जाए तो पिछले 10 वर्षों से सत्तारूढ़ नरेंद्र मोदी की सरकार में ऐसा पहली बार हुआ है, जब सदन में कोई बिल पारित होने से अटका और उसे जेपीसी में भेजना पड़ा।
इससे पहले केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सदन में ‘वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024’ पेश किया और विभिन्न दलों की मांग के अनुसार विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजने का प्रस्ताव किया।
रिजिजू ने लोकसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया, ‘संयुक्त संसदीय समिति का गठन करें और विधेयक को व्यापक चर्चा के लिए उसके (जेपीसी) पास भेजें। विधेयक पर चर्चा के लिए अधिक से अधिक हितधारकों को बुलाएं, उनकी राय सुनें। इसे (विधेयक को) समिति को भेजें, और भविष्य में हम उनके (सदस्यों के) सुझावों को खुले दिल से सुनेंगे…।’’ रिजिजू के अनुरोध पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, ‘मैं सभी दलों के नेताओं से बात करके इस संयुक्त संसदीय समिति का गठन करुंगा।’
इससे पहले विपक्षी सदस्यों ने विधेयक का पुरजोर विरोध किया और कहा कि यह संविधान, संघवाद और अल्पसंख्यकों पर हमला है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के दो प्रमुख घटक दलों जनता दल (यूनाइटेड) और तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) ने विधेयक का समर्थन किया। हालांकि चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी ने इसे संसदीय समिति के पास भेजने की पैरवी की।