नई दिल्ली, 20 जुलाई। नरेंद्र मोदी सरकार ने बुधवार को संसद में जानकारी दी कि पांच अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से अब तक आतंकियों ने कुल 21 गैर मुस्लिम कश्मीरियों और प्रदेश से बाहर के लोगों की हत्या की, लेकिन इस दौरान कोई भी कश्मीरी पंडित घाटी छोड़कर नहीं गया है।
5 अगस्त, 2019 से अब तक 128 जवानों के साथ 118 आम नागरिकों की हत्या हुई
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में इस बाबत जानकारी देते हुए बताया कि पांच अगस्त, 2019 से नौ जुलाई, 2022 तक कश्मीर में हुए आतंकी वारदात में कुल 128 सुरक्षा बल के जवानों के साथ-साथ 118 आम नागरिकों की हत्याएं हुई हैं। मारे गए कुल 118 नागरिकों में से 5 कश्मीरी पंडित थे, जबकि 16 अन्य हिन्दू या सिख समुदायों से संबंधित थे। लेकिन इन हिंसक घटनाओं में किसी तीर्थयात्री की हत्या नहीं हुई है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने संसद के मानसून सत्र के तीसरे दिन लोकसभा में सदन को यह जानकारी एक प्रश्न के लिखित उत्तर के तौर पर दी। प्रश्न में यह भी पूछा गया था कि हाल में हुई हत्याओं के कारण कितने कश्मीरी पंडितों ने घाटी से पलायन किया।
पीएमडीपी के तहत 5,502 कश्मीरी पंडितों को विभिन्न विभागों में नौकरी दी गई
इसके जवाब में नित्यानंद राय ने कहा, ‘पांच अगस्त, 2019 के बाद से किसी भी कश्मीरी पंडित ने घाटी से पलायन नहीं किया है और प्रधानमंत्री विकास पैकेज (पीएमडीपी) के तहत कुल 5,502 कश्मीरी पंडितों को सरकार के विभिन्न विभागों में नौकरी प्रदान की गई है।’
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने पांच अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति को समाप्त करने की घोषणा की थी और इसके तहत धारा 370 को हटाते हुए जम्मू-कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था ताकि उससे घाटी में फैले आतंकवाद को रोकने में मदद मिले और सूबे की तरक्की को और बल मिले।
विशेष दर्जा खत्म करने के बाद भी घाटी में आतंकी हमले रुकने का नाम नहीं ले रहे
लेकिन केंद्र के उस फैसले के बाद भी घाटी में आतंकी हमले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। अभी पिछले महीने ही कुलगाम में आतंकियों ने रजनी बाला नाम की एक शिक्षिका की गोली मारकर हत्या कर दी थी, जिसके बाद कश्मीरी पंडित कर्मचारियों के संगठन ने केंद्र और राज्य सरकार को धमकी दी कि अगर सरकार ने उन्हें 24 घंटे के भीतर आवश्यक सुरक्षा नहीं उपलब्ध कराती है तो वो अपनी जान बचाने के लिए कश्मीर घाटी को छोड़ देंगे।
रजनी बाला की हत्या से पहले आतंकियों ने 12 मई को बडगाम जिले में तहसील कार्यालय में क्लर्क के पद पर कार्यरत राहुल भट की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इन दोनों हत्याओं से पहले पिछले साल अक्टूबर में आतंकियों ने कश्मीरी फार्मेसी के मालिक माखन की हत्या कर दी थी। उसके अलावा आतंकियों ने बिहार के कुछ अप्रवासी मजदूरों की भी गोली मारकर हत्या कर दी थी।