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‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ के प्रस्ताव को मोदी कैबिनेट ने दी मंजूरी, शीतकालीन सत्र में बिल पेश करने की तैयारी

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नई दिल्ली, 18 सितम्बर। मोदी कैबिनेट ने ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है और अब इसे संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में गठित समिति ने ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ की संभावनाओं पर मार्च में अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी।

कोविंद समिति ने गत मार्च में सौंप दी थी रिपोर्ट

कोविंद समिति की रिपोर्ट में जो सुझाव दिए गए हैं, उनके अनुसार पहले कदम के रूप में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाने चाहिए। समिति ने आगे सिफारिश की है कि लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ संपन्न होने के 100 दिन के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव भी हो जाने चाहिए। इससे पूरे देश में एक निश्चित समयावधि में सभी स्तर के चुनाव संपन्न कराए जा सकेंगे। वर्तमान में, राज्य विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव अलग-अलग आयोजित किए जाते हैं।

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‘एक देश-एक चुनाव’ की वकालत करते रहे हैं पीएम मोदी

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लंबे समय से ‘एक देश-एक चुनाव’ की वकालत करते आए हैं। इसी क्रम में पीएम मोदी ने पिछले माह स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से किए गए अपने संबोधन में भी ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ की जोरदार वकालत की थी और कहा था कि बार-बार चुनाव होने से देश की प्रगति में बाधा उत्पन्न हो रही है। उन्होंने कहा था, “मैं सभी से ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ के संकल्प को हासिल करने के लिए एक साथ आने का अनुरोध करता हूं, जो समय की मांग है।’

15 राजनीतिक दल कर रहे विरोध, 32 का मिला समर्थन

प्राप्त जानकारी के अनुसार कोविंद समिति ने 62 राजनीतिक पार्टियों से संपर्क किया था। इनमें से 32 ने ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ का समर्थन किया था जबकि 15 पार्टियां इसके विरोध में थीं। 15 ऐसी पार्टियां थीं, जिन्होंने कोई जवाब नहीं दिया था।

JDU और LJP तैयार, TDP ने नहीं दिया जवाब

केंद्र की एनडीए सरकार में भाजपा के अलावा चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी, नीतीश कुमार की जेडीयू और चिराग पासवान की एलजेपी (आर) बड़ी पार्टियां हैं। जेडीयू और एलजेपी (आर) तो ‘एक देश- एक चुनाव’ के लिए राजी हैं, जबकि टीडीपी ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया है। जेडीयू और एलजेपी (आर) ने ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ का ये कहते हुए समर्थन किया था कि इससे समय और पैसे की बचत हो सकेगी।

वहीं कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, सीपीएम और बसपा समेत 15 पार्टियों ने इसका विरोध किया था जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा, टीडीपी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग समेत 15 पार्टियों ने कोई जवाब नहीं दिया था।

कानून बनाने के लिए संसद में पास कराना होगा बिल

‘एक देश-एक चुनाव’ के लिए सबसे पहले सरकार को बिल लाना होगा। चूंकि ये बिल संविधान संशोधन करेंगे, इसके लिए ये तभी पास होंगे, जब इन्हें संसद के दो तिहाई सदस्यों का समर्थन मिलेगा। यानी, लोकसभा में इस बिल को पास कराने के लिए कम से कम 362 और राज्यसभा के लिए 163 सदस्यों का समर्थन जरूरी होगा। संसद से पास होने के बाद इस बिल को कम से कम 15 राज्यों की विधानसभा का अनुमोदन भी जरूरी होगा। यानी, 15 राज्यों की विधानसभा से भी इस बिल को पास कराना जरूरी है। इसके बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद ही ये बिल कानून बन सकेंगे।

गगनयान और वेनस ऑर्बिटर मिशन को भी मंजूरी

प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में ‘एक देश-एक चुनाव’ के प्रस्ताव सहित अन्य कई अहम प्रस्तावों को मंजूरी दी, जो निम्नवत हैं –

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