मुंबई, 8 जुलाई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता छगन भुजबल उस वक्त असमंजस में फंस गए, जब एकनाथ शिंदे-फडणवीस सरकार के खिलाफ पूर्व में दायर उनकी याचिका बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के सामने खुल गई। दरअसल, भुजबल पिछले रविवार को ही अजित पवार के साथ महाराष्ट्र सरकार में शामिल हो चुके हैं।
याचिका में एमवीए सरकार की ओर से पारित बजट का धन रोकने का आरोप
राजनीति की विडंबना देखिए कि छगन भजुबल अब उसी सरकार में मंत्री भी हैं, जिस पर उन्होंने मुकदमा दायर किया था। फिलहाल बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नितिन जामदार ने भुजबल के वकील से याचिका को लेकर अपने मुवक्किल से बात करने के लिए कहा। इस याचिका में एकनाथ शिंदे सरकार पर पिछले महाविकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन की ओर से पारित बजट के धन को रोकने का आरोप लगाया गया है।
भुजबल के वकील ने मामले में स्थगन की मांग की
जस्टिस जामदार ने पूछा, ‘क्या आपने अपने मुवक्किल से पूछा है कि वह इस याचिका पर आगे बढ़ना चाहते हैं या फिर इसे वापस लेने वाले हैं?’ भुजबल के वकील संभाजी टोपे ने इस पर स्थगन की मांग की और कहा कि याचिका वापस ली जाएगी। उन्होंने कहा कि उनका मुवक्किल अब सरकार में मंत्री है और ऐसे में उन्हें इस समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।
वरिष्ठ एनसीपी नेता भुजबल ने याचिका में आरोप लगाया था कि जून, 2022 में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना-कांग्रेस-राकांपा को हटाकर भाजपा-शिंदे गुट सत्ता में आया। इसके बाद से ही नासिक में उनके निर्वाचन क्षेत्र येवला में विकास कार्यों के लिए धन मुहैया नहीं किया जा रहा है।
शिंदे से मिले थे पवार, भुजबल और पाटिल
एकनाथ शिंदे के शपथ लेने के कुछ दिनों बाद एनसीपी नेता अजीत पवार, छगन भुजबल और दिलीप पाटिल ने महाराष्ट्र के सीएम से मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने उनसे अपने फैसले की समीक्षा करने और विकास कार्यों के लिए धन वितरित करने को कहा था। हालांकि, जब फंड जारी नहीं किया गया तो एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के कई विधायकों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था। इसे लेकर इन नेताओं ने उस दौरान शिंदे सरकार पर जमकर निशाना साधा था।
वकील संभाजी टोपे का कोर्ट में कथन
भुजबल के वकील टोपे ने कहा, ‘इस मामले में पहले के आदेश के आधार पर करीब 23 विधायकों ने हाई कोर्ट की बॉम्बे और औरंगाबाद पीठ में याचिका दायर की थी क्योंकि उन्हें धन वितरित नहीं किया जा रहा था। यह धनराशि एमवीए सरकार की ओर से पारित बजट में आवंटित की गई थी, लेकिन जब नई सरकार सत्ता में आई तो उसने इस पर रोक लगा दी। फिलहाल हम 17 जुलाई का इंतजार कर रहे हैं, जब औरंगाबाद से आवेदन यहां भेजा जाएगा। इसके बाद हम याचिका वापस ले सकते हैं क्योंकि भुजबल साहब अब मंत्री हैं और ऐसे में उन्हें इस समस्या का सामना नहीं करना होगा।’