पटना, 9 जून। केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ विपक्षी एकता के लिए बिहार की राजधानी पटना में 23 जून को विपक्षी दलों के बीच बैठक होने जा रही है। लेकिन महागठबंधन के सहयोगी दलों में से एक हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) को इस बैठक में भाग लेने के लिए निमंत्रण नहीं मिला है।
‘हम‘ को न्योता नहीं मिलने से बिहार का सियासी पारा गरम
‘हम’ संरक्षक व पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने खुद स्वीकार किया है कि अब तक उन्हें इस बैठक में शामिल होने का न्योता नहीं मिला है। ऐसे में विपक्षी दलों की बैठक में जीतन राम मांझी को नहीं बुलाए जाने पर बिहार का सियासी पारा गरम हो उठा है।
जदयू की सफाई – ‘मांझी सरकार में शामिल हैं, वह नेतृत्वकर्ता हैं‘
वहीं, इस मामले में अब नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने सफाई दी है। जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि जीतन राम मांझी सरकार में शामिल हैं, वह नेतृत्वकर्ता हैं। इतने बड़े संग्राम के लिए विपक्षी दलों को एकजुट करना सबकी जिम्मेदारी है। उन्होंने अपने विधायकों के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी मुलाकात की हैं, लिहाजा इसमें कोई भी विवाद नहीं है।’
शिक्षा को लेकर मांझी के बयान को सियासत से जोड़ना ठीक नहीं
इसके साथ ही नीरज कुमार ने जीतन राम मांझी द्वारा शिक्षा व्यवस्था पर चिंता व्यक्त करने को वाजिब करार देते हुए कहा कि मांझी जी की चिंता उच्च शिक्षा में गिरावट और छात्रवृत्ति योजना को केंद्र सरकार की तरफ से बंद करने को लेकर है। लिहाजा मांझी के इस बयान को सियासत से जोड़ना ठीक नहीं है। दरअसल, गुरुवार को राज्यपाल से मुलाकात के बाद मांझी ने कहा था कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था खराब है।
गौरतलब है कि गुरुवार को विपक्षी एकता की बैठक में ‘हम’ को निमंत्रण नहीं मिलने पर जीतन राम मांझी ने कहा था कि विपक्षी एकता को लेकर होने वाली बैठक में उन्हें अभी तक निमंत्रण नहीं आया है।
मांझी कह चुके हैं – ‘हम नीतीश कुमार के साथ हैं‘
जदयू और राजद की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में 15 दलों का नाम गिनाया गया था, लेकिन मांझी की पार्टी का नाम नहीं होने से कई सवाल उठ खड़े हुए। हालांकि मांझी ने यह भी कहा, ‘हम नीतीश कुमार के साथ हैं। हमको एक भी सीट न मिलेगी तो भी हम नीतीश के साथ हैं। हम चाहते हैं कि विपक्षी एकता मजबूत हो। नीतीश कुमार बैठक में हैं तो समझिए हम भी हैं।’