नई दिल्ली, 5 मार्च। रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के दौरान स्वदेश लौटने वाले मेडिकल छात्रों को केंद्र सरकार ने बड़ी राहत देने का निर्णय लिया है। इस क्रम में फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट लाइसेंसिंग (एफएमजीएल) रेगुलेशन एक्ट में बड़ा बदलाव करने की तैयारी है ताकि यूक्रेन से लौटे छात्र और छात्राओं का भविष्य खराब न हो और वे भारत में ही अपनी इंटर्नशिप पूरी कर सकें।
वस्तुतः अब तक विदेशों के मेडिकल कॉलेजों से पढ़ाई करने वाले छात्रों को कोर्स की पूरी अवधि के अलावा ट्रेनिंग और इंटर्नशिप भारत से बाहर ही करनी होती है। ऐसे में यूक्रेन से लौट रहे और पूर्व में चीन से लौटे छात्रों के भविष्य को देखते हुए इसमें कुछ बदलाव किए गए हैं।
एक्ट में बदलाव के बाद विदेश में पढ़ रहे मेडिकल छात्र भारत आकर अपनी इंटर्नशिप पूरी कर सकते हैं। इससे पहले विदेश में पढ़ रहे छात्रों को अकादमिक सत्र के बीच में भारतीय मेडिकल कॉलेजों या संस्थानों में समायोजित करने की अनुमित नहीं थी।
राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग ने जारी किया सर्कुलर
राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) ने इस बाबत एक सर्कुलर जारी किया है। सर्कुलर के अनुसार कई ऐसे विदेशी मेडिकल ग्रेजुएट हैं, जिनकी ऐसी मजबूर स्थिति के चलते इंटर्नशिप अधूरी है। कोविड-19 महामारी और युद्ध जैसी आपदा उनके नियंत्रण से बाहर है। ऐसे में उनकी पीड़ा और तनाव को ध्यान में रखते हुए, छात्र बची हुई इंटर्नशिप भारत से पूरी कर सकते हैं।
यूक्रेन व चीन से लौटे लगभग 25 हजार छात्रों को मिल सकता है लाभ
स्टेट मेडिकल काउंसिल भी ऐसा कर सकते हैं, बशर्ते कि उम्मीदवारों ने भारत में इंटर्नशिप पूरा करने के लिए आवेदन करने से पहले एफएमजीई क्लीयर किया हो। मीडिया की खबरों के अनुसार चीन और यूक्रेन से लौटे करीब 25 हजार छात्रों को एफएमजीएल एक्ट में बदलाव का लाभ मिल सकता है।