नई दिल्ली, 6 फरवरी। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) चुनाव के दो महीने बाद भी मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव नहीं हो सका। सोमवार को तीसरी बार सदन में बुलाई गई बैठक में पार्षदों के हंगामे के कारण पीठासीन अधिकारी ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। अब आम आदमी पार्टी (आप) सुप्रीम कोर्ट की ओर रुख करने की तैयारी में है। पार्टी सुप्रीम कोर्ट से संविधान के हिसाब और अदालत की निगरानी में चुनाव कराने की अपील करेगी।
गौरतलब है कि एक माह में यह तीसरा मौका था, जब मेयर चुनाव नहीं हो सके। इससे पहले गत छह जनवरी और 24 जनवरी को आयोजित बैठक में भी पार्षदों ने सदन में खूब हंगामा किया था। भाजपा और ‘आप’ के पार्षद आपस में नारेबाजी करते हुए दिखे थे, जिसके बाद पीठासीन अध्यक्ष ने सदन को स्थागित कर दिया था।
चुनाव में एल्डरमैन को मतदान की अनुमति पर हुआ हंगामा
सदन में सोमवार को पूर्वाह्न करीब साढ़े 11 बजे कार्यवाही शुरू की गई। आधे घंटे की देरी के बाद पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा ने घोषणा की कि मेयर, डिप्टी मेयर और स्थायी पदों के चुनाव में एल्डरमैन मतदान कर सकते हैं। इस घोषणा के बाद ‘आप’ पार्षदों ने हंगामा करना शुरू कर दिया। ‘आप’ नेता मुकेश गोयल ने कहा कि बुजुर्ग वोट नहीं दे सकते। इसके बाद विरोध को बढ़ता देख पीठासीन अधिकारी शर्मा ने सदन को स्थगित कर दिया।
‘आप‘ और भाजपा का एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप
सदन ने कार्यवाही भंग होने के बाद आप ‘नेता’ आतिशी ने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे और हम आज ही जाएंगे ताकि कोर्ट की निगरानी में मेयर का चुनाव हो सके।’ ‘आप’ नेता का कहना है कि बीजेपी ने कार्यवाही को रोकने की साजिश रची है ताकि मेयर चुनाव न हो सके। वहीं, दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी ने ‘आप’ पर आरोप लगाया है कि वह भाजपा के पार्षदों को खरीदने की कोशिश कर रही है।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली नगर निगम अधिनियम 1957 के अनुसार, निकाय चुनावों के बाद सदन के पहले ही सत्र में मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव किया जाता है। हालांकि, गत वर्ष चार दिसम्बर को एमसीडी चुनाव होने के बाद से अब दिल्ली को अपना मेयर नहीं मिल सका है।