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मायावती ने अखिलेश की बढ़ाई टेंशन, आजमगढ़ लोकसभा सीट से गुड्डू जमाली बसपा प्रत्याशी घोषित

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लखनऊ, 27 मार्च। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद एक तरफ भारतीय जनता पार्टी जहां जीत के जश्न के बीच लगातार दूसरी बार राज्य की सत्ता संभाल चुकी है है वहीं विपक्षी पार्टियां हार के कारणों समीक्षा करने के साथ भविष्य की रणनीति तैयार करने में लगी हैं। इसी दौरान बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने एक दांव चलकर समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव की टेंशन बढ़ा दी है।

दरअसल, बसपा सुप्रीमो मायावती ने रविवार को यहां पार्टी प्रदेश मुख्यालय पर एक समीक्षा बैठक आहूत की थी। इस दौरान उन्होंने संगठन में व्यापक फेरबदल करने के साथ शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव के लिए बसपा प्रत्याशी घोषित कर दिया।

अखिलेश के इस्तीफे से खाली हुई है आजमगढ़ लोकसभा सीट

आजमगढ़ लोकसभा सीट अखिलेश यादव के इस्तीफे के बाद खाली हुई है और जल्द ही वहां उपचुनाव होना है। अखिलेश ने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया था और सपा का गढ़ माने जाने वाले मैनपुरी की करहल सीट से जीत के बाद अब वह विधानसभा में योगी आदित्यनाथ का सामना करेंगे।

गुड्डू जमाली AIMIM के इकलौते प्रत्याशी थे, जिनकी जमानत बची

गुड्डू जमाली की बात करें तो वह बीते विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के इकलौते कैंडिडेट थे, जिनकी जमानत बची थी। लेकिन बसपा की आज की बैठक के दौरान ही गुड्डू जमाली की एआईएमआईएम छोड़ घर वापसी की औपचारिक घोषणा हुई।

आजमगढ़ जिले की मुबारकपुर सीट से गुड्डू जमाली 2012 और 2017 का चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचे थे। बीते यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में उनके सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की चर्चा थी, लेकिन बात बनी नहीं। इसके बाद वह ओवैसी की पार्टी से चुनाव लड़े, लेकिन मुबारकपुर में 36 हजार वोट पाने के बावजूद उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

बीते विधानसभा चुनाव में आजमगढ़ की सभी 10 सीटें सपा के नाम रहीं

हालांकि आजमगढ़ भी पूर्वांचल में सपा का मजबूत गढ़ माना जाता है। इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है कि बीते विधानसभा चुनाव में सपा उम्मीदवारों ने भाजपा सहित अन्य सभी पार्टियों को पटखनी देते हुए सभी 10 सीटों पर जीत हासिल की थी।

मोदी लहर में भी अखिलेश आजमगढ़ में 2.5 लाख से ज्यादा मतों से जीते थे

अब चूंकि बसपा सुप्रीमो मायावती ने अभी अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है, लिहाजा सपा चीफ अखिलेश के सामने इस सीट को बचाने की चुनौती होगी, जो उन्होंने 2019 मोदी लहर के बावजूद भाजपा के दिनेश लाल निरहुआ को 2.5 लाख से अधिक वोटों से हराकर जीती थी। हालांकि उस वक्त मायावती की पार्टी उनके साथ मिलकर चुनाव लड़ रही थी। बसपा के बाद अब दूसरे दलों पर भी नजर रहेगी कि वे रणनीति बनाते हैं, लेकिन एक बात तो तय है कि यहां मुकाबला दिलचस्प होगा।

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