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मायावती का इमरान मसूद से 10 माह में मोह भंग, अनुशासनहीनता में बसपा से निष्कासित किया

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लखनऊ, 30 अगस्त। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती का पश्चिमी यूपी में बड़ा मुस्लिम चेहरा इमरान मसूद से 10 माह में ही मोह भंग हो गया, जिन्हें अनुशासनहीनता के आरोप में पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है।

गौरतलब है कि यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने मसूद को खुद अपने दफ्तर बुलाकर बसपा ज्वॉइन कराई थी। मसूद के बसपा में आने की जानकारी भी मायावती ने अपने ट्विटर हैंडल से साझा की थी और उन्होंने इमरान को पश्चिमी यूपी के साथ ही उत्तराखंड की भी जिम्मेदारी दे दी थी। लेकिन अब सियासत ने अचानक करवट ली और इमरान मसूद अनुशानहीनता के आरोप के बीच एक झटके में पार्टी से बाहर कर दिए गए।

मसूद बोले थे – मैं बोझ नहीं, बसपा के लिए एसेट हूं, पार्टी को मेरा ख्याल रखना चाहिए

पिछले दिनों लखनऊ में आयोजित बसपा की बैठक में भी मायावती ने इमरान को नहीं बुलाया था। इसे लेकर एक दिन पहले ही इमरान ने कहा था कि बसपा के लिए एसेट हूं, मैं बोझ नहीं हूं, ऐसे में पार्टी को मेरा ख्याल रखना चाहिए। इसके अलावा इमरान ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव की तारीफ भी कर दी थी।

बसपा ने बताया निष्कासन का कारण

बसपा ने इमरान मसूद को निष्कासित करने का कारण भी बताया है। बसपा की तरफ से जारी पत्र में कहा गया है कि बहुजन समाज पार्टी सहारनपुर जिला यूनिट ने इमरान मसूद को पार्टी में अनुशासनहीनता और पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने की रिपोर्ट दी थी। इसके बाद उन्हें बसपा ने निष्कासित करने का फैसला लिया गया है।

पत्र में कहा गया है कि इनको जब पार्टी में शामिल किया गया था तो स्पष्ट रूप से बता दिया गया था इनकी कार्यशैली और गतिविधियों को ध्यान में रखकर इन्हें सहारनपुर लोकसभा से टिकट दिया जाएगा। हालांकि यूपी में नगर निकाय चुनाव में इन्होंने सहारनपुर में अपने परिवार के सदस्य को मेयर के टिकट के लिए दबाव बनाया। इन्हें इस शर्त पर टिकट दिया गया कि परिवार का सदस्य मेयर का चुनाव हार जाता है तो लोकसभा का टिकट नहीं दिया जाएगा। यदि वह मेयर बनता है तब इन्हें लोकसभा का टिकट देने पर जरूर विचार किया जाएगा। इनके परिवार का सदस्य मेयर का चुनाव हार गया तो इन्हें कहा गया कि अपने समाज के लोगों को जोड़ना चाहिए।

मसूद ने बसपा के लिए सदस्यता की किताब मांगी। इन्हें वह दी गई। लेकिन इन्होंने ज्यादातर किताबें बिना सदस्य बनाए ही वापस कर दी। बहुत सी किताबें अब तक वापस नहीं की हैं। बसपा अनुशासित पार्टी है। अनुशासनहीनता और दबाव की राजनीति कतई बर्दाश्त नहीं करती। ऐसे में इन्हें बसपा से निष्कासित करने का फैसला लिया गया है।

राहुल गांधी और अखिलेश की तारीफ भी भारी गुजरी

वैसे कहा यह भी जा रहा है कि राहुल गांधी और अखिलेश यादव का तारीफ करना भी इमरान को बसपा से बाहर करने का बड़ा कारण बन गया। मसूद ने एक दिन पहले ही एक टीवी चैनल से बातचीत में राहुल गांधी और अखिलेश यादव की तारीफ की थी।

मसूद ने सुभासपा चीफ ओम प्रकाश राजभर का अखिलेश यादव पर हमले को गलत बताते हुए कहा था कि ऐसी भाषा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। अखिलेश यादव व्यक्तिगत तौर पर कभी गलत पेश नहीं आते हैं। मसूद ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से अपने रिश्ते को लेकर कहा कि राहुल गांधी को बहुत नेक दिल इंसान हैं। प्रियंका गांधी से मेरे रिश्ते काफी अच्छे रहे हैं।

इसके साथ ही मसूद ने कांग्रेस में जाने के सवाल पर कहा था, ‘अभी मैं बसपा में हूं। जब तक बसपा में हूं, तब तक मैं बहन जी का सिपाही हूं। अभी मैं कहीं नहीं जा रहा हूं।’ हालांकि अब निष्कासित होने के बाद उनके कांग्रेस में जाने की चर्चा फिर जोर पकड़ रही है। मसूद इससे पहले भी कांग्रेस में रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से सपा में आए थे। इसके बाद अक्टूबर, 2022 में बसपा में चले गए थे।

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