नई दिल्ली, 18 सितम्बर। कांग्रेस ने लोकसभा में मंगलवार को महिला आरक्षण विधेयक पेश करने और इसे सर्वसम्मति से पारित कराने की सत्ता पक्ष से मांग की। सदन में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने ‘संविधान सभा से शुरू हुई 75 वर्षों की संसदीय यात्रा – उपलब्धियां, अनुभव, यादें और सीख’ विषय पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि उनकी नेता सोनिया गांधी के प्रयास से राज्यसभा में एक बार संबंधित विधेयक पारित हो चुका था, लेकिन अब समय आ गया है कि सत्ता पक्ष महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने संबंधित विधेयक इस सत्र में पेश करे और इसे मूर्त रूप देने में भूमिका निभाए।
उन्होंने विपक्षी दलों को अपने विचार रखने के लिए भी एक दिन तय करने का अनुरोध किया। उन्होंने संसद की गरिमा और संविधान को अक्षुण्ण रखने में अपनी पार्टी के पूर्ववर्ती नेताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि जब संसद में संविधान और लोकतंत्र की चर्चा हो तो भारत के शिल्पकार कहे जाने वाले पंडित जवाहर लाल नेहरू और संविधान निर्माता बाबा साहब भीम राव आम्बेडकर का जिक्र करना स्वाभाविक है।
उन्होंने कहा कि यह उनके पूर्ववर्ती नेताओं की उपलब्धियों का उल्लेख करने का माकूल अवसर है। उन्होंने कहा कि नेहरू ने ऐसे समय में सत्ता की बागडोर संभाली थी जब देश के विभाजन के कारण हजारों लोग मारे गये थे और चारों तरफ अफरातफरी का माहौल था। उन्होंने कहा कि नेहरू ने अपने कुशल नेतृत्व से देश की आर्थिक स्थिति में सुधार किया। चौधरी ने कहा, ‘‘नेहरू सहित बहुत सारे लोगों ने देश को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया था।’’
चंद्रयान-तीन की सफलता को व्यक्तिगत कामयाबी के तौर पर भुनाने के लिए परोक्ष रूप से सत्ता पक्ष पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के गठन में नेहरू की बड़ी भूमिका थी। उन्होंने कहा, ‘‘इसरो , विक्रम साराभाई के नेतृत्व में नेहरू के दृष्टिकोण का परिणाम है, जिसकी स्थापना 1964 में हुई थी।’’
उन्होंने इसरो के माध्यम से परोक्ष रूप से ‘इंडिया’ बनाम ‘भारत’ के मुद्दे पर भी सरकार को निशाना बनाने का प्रयास किया। उन्होंने इंदिरा गांधी के कार्यकाल में 1974 में पोखरण में किये गये परमाणु परीक्षण से लेकर राजीव गांधी के नेतृत्व में डिजिटल इंडिया जैसे प्रयासों का भी उल्लेख किया। चौधरी ने कहा, ‘‘हम डिजिटल इंडिया की बात करते हैं लेकिन इसका श्रेय राजीव गांधी को जाता है। सीडैक से लेकर एआई के पीछे क्या इतिहास है उसे भूलना नहीं चाहिए। इतिहास को नयी पीढ़ी को बताया जाना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह के मौन रहने की चर्चा भले सत्ता पक्ष करता हो, लेकिन विदेशी प्रतिबंधों से मुक्ति उन्होंने ही दिलवाई थी और वह बात कम , काम अधिक करते थे, न कि मौन रहते थे। चौधरी ने कांग्रेस के कार्यकाल में बाल मजदूर निवारण कानून, एससी/एसटी अत्याचार निवारण कानून, पंचायती राज कानून, शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून, सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून और राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) जैसे महत्वपूर्ण कानूनों के पारित किये जाने का उल्लेख किया।
उन्होंने आरटीआई कानून के पारित कराने में सोनिया गांधी के योगदान के लिए उनका धन्यवाद भी किया। उन्होंने कहा कि आरटीई और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून जैसे क्रांतिकारी कानून हमारी पूर्ववर्ती सरकारों की देन हैं। चौधरी ने जम्मू कश्मीर में आतंकवादी मुठभेड़ में जवानों के शहीद होने पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि सदन में उनके लिए एक मिनट का मौन भी रखा जाना चाहिए था।
उन्होंने मणिपुर में हिंसा का भी उल्लेख किया और सत्ता पक्ष पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, ‘‘एक तरफ मणिपुर और दूसरी तरफ कश्मीर। हमें बहुत कुछ करना बाकी है। यह तो अभी झांकी है, बहुत कुछ करना बाकी है।’’ उन्होंने सदन में चर्चा कराये बिना विभिन्न विधेयकों को पारित कराने को लेकर भी सत्ता पक्ष को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि देश में यह आख्यान पैदा हो रहा है कि देश में एक पार्टी की तानाशाही चलती है। चौधरी ने कहा, ‘‘हमारी सभ्यता बहुलतावाद की बात करती है। वसुधैव कुटुम्बकम ये (सत्ता पक्ष) कहते हैं, इसका मतलब यही तो है कि सबकी चिंता करनी चाहिए।’’