नई दिल्ली, 3 जुलाई। दिल्ली हाई कोर्ट ने चर्चित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले में पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को राहत देने से इनकार करते हुए सोमवार को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने सिसोदिया की जमानत पर फैसला सुनाया।
कोर्ट ने कहा – जमानत मिलने पर गवाहों को कर सकते हैं प्रभावित
जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि आरोपित इस स्टेज पर पर जमानत के योग्य नहीं है। जस्टिस शर्मा ने कहा कि सिसोदिया दिल्ली सरकार में प्रभावशाली पद पर रहे हैं, जमानत मिलने पर गवाहों को प्रभावित करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
अन्य कई आरोपितों की जमानत अर्जी भी खारिज
अदालत सिसोदिया के अलावा उद्योगपति अभिषेक बोइनपल्ली, बिनॉय बाबू और विजय नायर की याचिकाओं पर भी फैसला सुनाया और उनकी भी याचिकाएं खारिज कर दीं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज धनशोधन के मामले में ये सभी सह-आरोपित हैं।
सीबीआई व ईडी की ओर से दर्ज मामलों में 26 फरवरी से जेल में हैं सिसोदिया
गौरतलब है कि दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने 17 नवम्बर, 2021 को नई आबकारी नीति लागू की थी, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितम्बर, 2022 के अंत में इसे वापस ले लिया गया था। सिसोदिया को घोटाले में कथित भूमिका के लिए सबसे पहले इसी वर्ष 26 फरवरी को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था और वह तब से जेल में ही हैं।
उच्च न्यायालय सीबीआई वाले मामले में 30 मई को उन्हें जमानत देने से इनकार कर चुका है। उन्हें ईडी ने नौ मार्च को गिरफ्तार किया था और तब से वह न्यायिक हिरासत में हैं। उच्च न्यायालय ने दो जून को सिसोदिया की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा था। सिसोदिया ने ‘मल्टीपल स्केलेरोसिस’ से पीड़ित अपनी पत्नी के बिगड़ते स्वास्थ्य सहित विभिन्न आधारों पर जमानत मांगी थी। हालांकि, ईडी ने दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम की जमानत याचिका का विरोध किया है।
समीर महेंद्रू के खिलाफ ईडी की याचिका खारिज
फिलहाल शराब घोटाले से ही संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग से ही जुड़े एक अन्य मामले में शराब व्यवसायी समीर महेंद्रू को दी गई छह सप्ताह की अंतरिम जमानत को चुनौती देने वाली प्रवर्तन निदेशालय की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को विचार करने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू से कहा कि वह दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करेगी।
राजू ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय का आदेश ‘चौंकाने वाला’ और गलत तथ्यों पर आधारित है तथा इसे एक मिसाल के रूप में नहीं माना जा सकता। पीठ ने कहा, ‘क्षमा करें, छह सप्ताह की जमानत के लिए हम हस्तक्षेप नहीं करेंगे। यह अवधि अगले 10-15 दिनों में अपने आप समाप्त हो जाएगी।’ उच्च न्यायालय ने 12 जून को धनशोधन मामले में महेंद्रू को चिकित्सा आधार पर छह सप्ताह की अंतरिम जमानत दी थी।