नई दिल्ली, 29 नवम्बर। मणिपुर में सक्रिय सबसे पुराने उग्रवादी संगठन यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF) ने बुधवार को सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए और हिंसा त्यागने पर सहमति जताई। यह घटनाक्रम इस माह की शुरुआत में कड़े गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत समूह पर प्रतिबंध की अवधि पांच साल बढ़ाने के फैसले के बाद आया है।
पहली बार कोई मणिपुरी सशस्त्र समूह हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में लौटने पर सहमत
एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि यूएनएलएफ के प्रतिनिधियों ने यहां केंद्रीय गृह मंत्रालय और मणिपुर सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए। केंद्र की संघर्ष समाधान पहल के तहत पूर्वोत्तर के कई जातीय सशस्त्र समूहों के साथ राजनीतिक समझौतों को अंतिम रूप दिया गया है। यह पहली बार है कि इम्फाल घाटी में सक्रिय कोई मणिपुरी सशस्त्र समूह हिंसा छोड़कर और भारतीय संविधान एवं कानून का सम्मान करते हुए मुख्यधारा में लौटने पर सहमत हुआ है।
इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की गयी!!! पूर्वोत्तर में स्थायी शांति स्थापित करने के मोदी सरकार के अथक प्रयासों में एक नया अध्याय जुड़ गया है क्योंकि यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट ने आज नयी दिल्ली में एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए।’
शाह ने कहा, ‘मणिपुर की घाटी में सक्रिय सबसे पुराना सशस्त्र समूह यूएनएलएफ हिंसा त्यागकर मुख्यधारा में शामिल होने पर सहमत हो गया है। मैं लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में उनका स्वागत करता हूं और शांति और प्रगति के पथ पर उनकी यात्रा के लिए शुभकामनाएं देता हूं।’
The peace agreement signed today with the UNLF by the Government of India and the Government of Manipur marks the end of a six-decade-long armed movement.
It is a landmark achievement in realising PM @narendramodi Ji's vision of all-inclusive development and providing a better… pic.twitter.com/P2TUyfNqq1
— Amit Shah (@AmitShah) November 29, 2023
अमित शाह ने कहा कि भारत सरकार और मणिपुर सरकार द्वारा यूएनएलएफ के साथ किया गया शांति समझौता छह दशक लंबे सशस्त्र संघर्ष के अंत का प्रतीक है। प्रवक्ता ने कहा कि यह समझौता न केवल यूएनएलएफ और सुरक्षा बलों के बीच शत्रुता को समाप्त करेगा, जिसने पिछली आधी शताब्दी से अधिक समय में दोनों पक्षों के बहुमूल्य जान को क्षति पहुंचाई है, बल्कि समुदाय की दीर्घकालिक चिंताओं को दूर करने का अवसर भी प्रदान करेगा। मणिपुर में मई से मैइती और आदिवासी कुकी समुदायों के बीच जातीय संघर्ष हो रहा है, जिसकी वजह से 180 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
प्रवक्ता के अनुसार सहमति के बिंदुओं के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए एक शांति निगरानी समिति का गठन किया जाएगा। इस घटनाक्रम को राज्य में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। उम्मीद है कि यूएनएलएफ की मुख्यधारा में वापसी से घाटी में सक्रिय अन्य सशस्त्र समूहों को भी शांति प्रक्रिया में हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।
शाह ने मणिपुर में शांति के नए युग के सूत्रपात की उम्मीद जताई
शाह ने उम्मीद जताई की इस घटनाक्रम से पूर्वोत्तर में खासतौर पर मणिपुर में शांति के नए युग का सूत्रपात होगा। उन्होंने कहा, ‘यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के सर्व-समावेशी विकास के दृष्टिकोण को साकार करने और पूर्वोत्तर भारत में युवाओं को बेहतर भविष्य प्रदान करने की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।’
1964 में हुआ था यूएनएलएफ का गठन
यूएनएलएफ का गठन 1964 में हुआ था और यह देश और देश के बाहर से अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहा था। केंद्र ने उग्रवाद को खत्म करने और विकास को बढ़ावा देने के लिए 2014 से पूर्वोत्तर के कई सशस्त्र समूहों के साथ समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं।