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ममता बनर्जी ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ से सहमत नहीं, उच्चस्तरीय समिति को पत्र लिखकर जताई आपत्ति

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कोलकाता, 11 जनवरी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) अध्यक्ष ममता बनर्जी ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ से सहमत नहीं है। उन्होंने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की संभावनाएं तलाशने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में गठित एक उच्चस्तरीय समिति के सचिव डॉ. नितेन चंद्रा को गुरुवार को एक विस्तृत पत्र लिखकर अपनी असहमति व्यक्त कर दी है।

मैं निरंकुशता के खिलाफ हूं और इसलिए आपके डिजाइन के खिलाफ हूं

टीएमसी प्रमुख ममता ने विवादास्पद ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के विचार पर प्रहार करते हुए इसे ‘संविधान की मूल संरचना को नष्ट करने की योजना’ और ‘निरंकुशता को लोकतांत्रिक जामा पहनाने की अनुमति देने वाली प्रणाली’ करार दिया। उन्होंने पत्र में कहा, “मुझे खेद है कि मैं ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की अवधारणा से सहमत नहीं हो सकती। मैं निरंकुशता के खिलाफ हूं और इसलिए आपके डिजाइन के खिलाफ हूं।”

ममता बनर्जी ने मोदी सरकार की आलोचना करते हुए व्यंग्यात्मक रूप में कहा, “ऐसा लगता है कि आप किसी प्रकार की एकतरफा ऊपर से नीचे की ओर संदेश दे रहे हैं केंद्र सरकार द्वारा पहले ही लिया जा चुका ‘निर्णय’ – एक ऐसा ढांचा लागू करना जो वास्तव में लोकतांत्रिक और संघीय (राष्ट्र) की भावना के खिलाफ है। मुझे सिद्धांत के साथ बुनियादी वैचारिक और आपके पद्धतिगत दृष्टिकोण में कठिनाइयां हैं।”

उन्होंने जो दो वैचारिक मुद्दे उठाए, जिनमें ‘एक राष्ट्र’ शब्द का संवैधानिक और संरचनात्मक निहितार्थ। महत्वपूर्ण रूप से, संसदीय और विधानसभा चुनावों के समय पर सवाल, खासकर जब मौजूदा चुनाव चक्रों में महत्वपूर्ण अंतर होता है। उन्होंने कहा, ‘1952 में, पहला आम चुनाव केंद्र और राज्यों के लिए एक साथ आयोजित किया गया था। कुछ वर्षों तक ऐसा एक साथ हुआ था, लेकिन (यह) तब से टूट गया है।’

ममता ने जोर देकर कहा, ‘… अलग-अलग राज्यों में अब अलग-अलग चुनाव कैलेंडर हैं और उनमें राजनीतिक घटनाक्रम के कारण बदलाव की आशंका भी है। जो राज्य चुनाव की उम्मीद नहीं कर रहे हैं, उन्हें केवल समानता के लिए चुनाव कराने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।’

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