नई दिल्ली/कोलकाता, 30 जून। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. के एक घटक दल तृणमूल कांग्रेस (TMC) की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से फोन पर बात की। इस दौरान उन्होंने ममता से संसद के स्पीकर व डिप्टी स्पीकर के मुद्दे पर चर्चा की। टीएमसी के शीर्ष सूत्रों की मानें तो ममता बनर्जी ने अयोध्या से नवनिर्वाचित सपा सांसद अवधेश प्रसाद को डिप्टी स्पीकर बनाने का प्रस्ताव दिया है।
उल्लेखनीय है कि डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को देने की परंपरा रही है। हालांकि पूर्ण बहुमत वाली मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में पूरे पांच वर्षों तक यह पद खाली ही रह गया। अब इस बार लोकसभा में भाजपा और कांग्रेस के बाद तीसरी सबसे बड़ी पार्टी समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद का नाम डिप्टी स्पीकर पद के लिए आगे कर दिया है और ममता ने भी अखिलेश के प्रस्ताव का समर्थन करते हुए अवधेश प्रसाद का नाम सुझा दिया है, लिहाजा यह देखना दिलचस्प रहेगा कि एनडीए सरकार का इसपर क्या रुख रहता है।
ममता ने रखा गैर कांग्रेसी विपक्षी उम्मीदवार का प्रस्ताव
फिलहाल माना जा रहा है कि अवधेश प्रसाद भाजपा सरकार के लिए एक कठिन प्रस्ताव हैं क्योंकि सपा सांसद ने अयोध्या (फैजाबाद सीट) से जीत हासिल की है। टीएमसी सूत्रों का यह भी कहना है कि ममता बनर्जी ने एक गैर कांग्रेसी विपक्षी उम्मीदवार का प्रस्ताव रखा है जबकि कांग्रेस डिप्टी स्पीकर का पद चाहती थी।
डिप्टी स्पीकर की मांग पर अड़ा विपक्ष
गौरतलब है कि I.N.D.I.A. ब्लॉक डिप्टी स्पीकर की मांग पर अड़ा हुआ है। लेकिन एनडीए सरकार डिप्टी स्पीकर का पद बगैर चुनाव के विपक्ष को देना नहीं चाहती। यही वजह है कि विपक्ष ने स्पीकर चुनाव में अपना उम्मीदवार उतारा था।
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा, ‘हमारा विरोध प्रतीकात्मक और लोकतांत्रिक था क्योंकि वो (एनडीए) हमें डिप्टी स्पीकर का पद नहीं दे रहे थे। वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा की सांसद महुआ माझी ने भी कहा कि यदि सरकार डिप्टी स्पीकर का पद देने पर राजी हो जाती तो स्पीकर के लिए चुनाव नहीं कराना पड़ता।
फैजाबाद से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे से अवधेश प्रसाद
फैजाबाद सीट से सांसद बनने से पहले अवधेश प्रसाद अयोध्या जनपद की मिल्कीपुर विधानसभा से सपा के विधायक थे। वह लंबे समय से समाजवादी पार्टी से जुड़े रहे हैं और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के काफी करीबी लोगों में इनका भी नाम लिया जाता था। राजनीति की शुरुआत इन्होंने जनता पार्टी से की थी और 1977 में पहली बार अयोध्या जनपद की सोहावल विधानसभा से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। इसके बाद तो अवधेश प्रसाद ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और 1985, 1989, 1993, 1996, 2002, 2007 व 2012 लगातार विधानसभा चुनाव जीतते रहे। अवधेश प्रसाद ने बीते लोकसभा चुनाव में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी और भाजपा उम्मीदवार लल्लू सिंह को 54,567 वोटों से हराया था।
कितना अहम है डिप्टी स्पीकर का पद?
डिप्टी स्पीकर का पद भी उतना ही अहम है, जितना स्पीकर का। संविधान का अनुच्छेद 95 कहता है कि स्पीकर का काम डिप्टी स्पीकर तब संभालता है, जब वो पद खाली हो गया हो या फिर स्पीकर सदन में अनुपस्थित हों। यदि डिप्टी स्पीकर का पद खाली है और स्पीकर भी मौजूद नहीं हैं तो ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति की ओर से नियुक्त लोकसभा सांसद सदन की कार्यवाही संभालता है। संविधान ने डिप्टी स्पीकर को भी वही शक्तियां दी हैं, जो स्पीकर को दी है।
डिप्टी स्पीकर को इस्तीफा सौंपते हैं स्पीकर
दिलचस्प तो यह है कि यदि स्पीकर अपने पद से हटना चाहते हैं तो उन्हें अपना इस्तीफा डिप्टी स्पीकर को सौंपना होता है। इसी तरह यदि डिप्टी स्पीकर पद छोड़ना चाहते हैं तो वो अपना इस्तीफा स्पीकर को सौंपते हैं। यदि डिप्टी स्पीकर का पद खाली है तो फिर स्पीकर अपना इस्तीफा लोकसभा महासचिव को देते हैं।